मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि शासकीय कर्मचारी जो जीवनभर शासकीय कार्य करते हैं, सेवानिवृत्त के पश्चात् एवं शासकीय कार्य में रहते हुए जो कर्मचारी मृत होते हैं, वह अपनी जीवनभर की कमाई और पेंशन प्राप्त करने के लिए बेवजह अपने ही कार्यालयों एवं कोषालयों के चक्कर में परेशान होते रहते हैं। शासकीय कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति की कार्यवाही तीन माह पहले से ही भुगतान की कार्यवाही करने के लिए आदेश हैं, परंतु कार्यालयों द्वारा सेवानिवृत्त के पूर्व पेंशन एवं देयकों के भुगतान से संबंधित कार्यवाही पूर्ण नहीं की जाती है, जिससे शासकीय कर्मी को रिटायरमेंट के बाद अपने स्वयत्तों के भुगतान के लिए भटकना पड़ता है।
सेवानिवृत्त एवं मृत कर्मचारियों के बिलों में बेवजह विभाग व कोषालय द्वारा अनेक आपत्ति लगाई जाती हैं, जब तक चढ़ावा न चढ़ा दो बिल पास नहीं किया जाता और चढ़ावा चढ़ते ही वही बिल तत्काल पास हो जाता है। कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को आर्थिक मदद के लिए स्वयत्तों के भुगतान के लिए अनेकों चक्कर विभाग व कोषालय के काटना पड़ता है, कर्मचारी का परिवार निसहाय और आर्थिक परेशानियों के बोझ से दब जाता है और उसके स्वयत्तों के भुगतान न होने से अत्यंत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। संघ मांग करता है कि सेवानिवृत्त एवं मृत कर्मचारियों के स्वयत्तों के भुगतान शीघ्र हो, ऐसी व्यवस्था की जाये।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मिर्जा मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, दुर्गेश पाण्डेय, आशुतोष तिवारी, योगेन्द्र मिश्रा, वीरेन्द्र चंदेल, एसपी बाथरे, मनोज सिंह, मुकेश मिश्रा, शरद मिश्रा, देशमुख, इंद्रजीत मिश्रा, योगेश कपूर, पंकज जायसवाल, तुषरेन्द्र सिंह, नीरज कौरव, जवाहर लोधी, एन शुक्ला, चूरामन गूजर, सतीश हेमन्त गौतम, महेन्द्र चौधरी, अमित गौतम, शैलेन्द्र दुबे, रामकृष्ण तिवारी, संदीप चौबे, रितुराज गुप्ता, प्रमोद वर्मा, वीरेन्द्र सिंह ठाकुर, वीरेन्द्र पटेल, राकेश वर्मा, देवेन्द्र दाहिया, अभिषेक वर्मा, शेरसिंह, राजाबाबू बैगा, निशांक तिवारी, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, प्रियांशु शुक्ला, संतोष तिवारी आदि ने कलेक्टर जबलपुर से मांग की है कि सेवानिवृत्त एवं मृत कर्मचारियों के पेंशन एवं अन्य स्वयत्तों के भुगतान की समय सीमा तय की जाये, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं मृत कर्मचारी के परिवार को परेशानियों का सामना न करना पड़े।