अघोषित अवैध कॉलोनियों में रहने वाले ऐसे रहवासी, जिनके पास स्वयं का स्थाई विद्युत कनेक्शन उपलब्ध नहीं है, उनके लिए मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने स्थाई विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराने की सौगात दी है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कंपनी कार्यक्षेत्र में आने वाली समस्त अघोषित अवैध कॉलोनियों के रहवासियों को भूखण्ड के क्षेत्रफल के आधार पर विद्युत अधोसंरचना शुल्क्, कनेक्शन शुल्क एवं सप्लाई अफोर्डिंग चार्जेज की गणना कर राशि निर्धारित कर दी गई है। संबंधित रहवासी द्वारा उपरोक्त राशि का भुगतान करने के बाद उसे स्थाई विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराया जाएगा।
गौरतलब है कि कंपनी द्वारा अघोषित अवैध कॉलोनी में 500 वर्गफुट क्षेत्रफल तक के गरीबी रेखा से नीचे के रहवासियों को राशि 34 हजार 256 रुपये एकमुश्त जमा करने के बाद स्थाई विद्युत कनेक्शन उपलब्ध करा दिया जाएगा। इसी प्रकार 500 वर्गफुट क्षेत्रफल तक के गरीबी रेखा से ऊपर के रहवासियों को 34 हजार 322 रुपये, 501 से 1000 वर्गफुट क्षेत्रफल तक के लिए 51 हजार 223 रुपये, 1001 से 1500 वर्गफुट क्षेत्रफल तक के लिए राशि 71 हजार 188 रुपये एवं 1501 से 2000 वर्गफुट क्षेत्रफल तक के परिसर में स्थाई विद्युत कनेक्शन के लिए 88 हजार 875 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके अतिरिक्त कॉलोनी के सामूहिक आवेदन की स्थिति में सम्पूर्ण जमा योजना अथवा सुपरविजन चार्ज योजना में भी आवश्यक विद्युत अधो-संरचना विस्तार के बाद स्थाई विद्युत कनेक्शन जारी करने का प्रावधान है।
कंपनी ने अघोषित अवैध कॉलोनी के रहवासियों से अपील की है कि वे परिसर के क्षेत्रफल के आधार पर कंपनी द्वारा जारी निर्धारित शुल्क जमा कर वैध कनेक्शन लेकर ही बिजली का उपयोग करें। वैध विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने की प्रक्रिया, योजना के नियम-निर्देश के संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी बिजली ऑफिस में संपर्क करें। कंपनी द्वारा अवैध और अनधिकृत बिजली के उपयोग के सबंध में सभी मैदानी अधिकारियों को सघन चेकिंग अभियान चला कर अवैध कनेक्शनों को नियमित करने के साथ ही अवैध और अनधिकृत विद्युत का उपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के निर्देश जारी किये हैं। ज्ञात हो कि बिजली चोरी के मामलों में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126, 135 एवं 138 में बनने वाले मुकदमों में कठोर कार्यवाही का भी प्रावधान है। यहाँ तक कि दोषी उपभोक्ताओं को बिजली चोरी के प्रकरणों में आरोप सिद्ध पाये जाने पर जुर्माना या कारावास अथवा दोनों सजाओं का प्रावधान है।