मध्य प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों को सातवां वेतनमान वर्ष 2016 से प्रदाय कर दिया गया है, परंतु आज भी कर्मचारियों के बीमा कटौती की राशि 200 रुपए छटवें वेतनमान वर्ष 2006 के वेतनमान के अनुरूप काटी जा रही है, जिससे कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति में और मृत्यु हो जाने पर परिवार को अत्यंत आर्थिक हानि का सामना करना पड रहा है।
इसी प्रकार चिकित्सा बीमा योजना का क्रियान्वयन आज तक कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने हेतु नहीं किया गया है, जबकि इस संबंध में पूर्व में आदेश जारी किये गये थे कि कर्मचारियों को चिकित्सा बीमा योजना का लाभ प्रदान किया जाना है जिसके लिए साफ्टवेयर आईएफएमआईएस में समस्त जानकारी विभागों द्वारा पूर्ण कर अपडेट कर दी गई हैं, परंतु आज तक भी कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है, कर्मचारियों को गंभीर बीमारी में स्वयं के व्यय से इलाज कराना पडता है, जिससे धन के अभाव में इलाज न करा पाने के कारण उसकी अकाल मृत्यु तक हो जाती है, जिससे परिवार को अत्यंत परेशानियों का सामना करना पडता है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि शासन द्वारा कर्मचारियों को न ही आयुष्मान योजना का लाभ और न ही किसी अन्य योजना का लाभ प्रदान किया जा रहा है। शासन चिकित्सा बीमा योजना लागू होने तक प्रदेश के कर्मचारियों को आयुष्मान योजना का लाभ ही प्रदान कर दे, जिससे गंभीर बीमार शासकीय कर्मचारियों का इलाज हो सके और उनके परिवार को आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना न करना पड़े।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मनोज खन्ना, वीरेंद्र तिवारी आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, दुर्गेश पाण्डे, वीरेन्द्र चंदेल, एसपी बाथरे, अशोक मेहरा, नवीन यादव, अंकित चौरसिया, शैलेन्द्र दुबे, सीएन शुक्ला, चूरामन गूजर, सतीश देशमुख, योगेश कपूर, पंकज जायसवाल, तुषरेन्द्र सिंह, नीरज कौरव, जवाहर लोधी, हेमन्त गौतम, अमित गौतम, रामकृष्ण तिवारी, संदीप चौबे, रितुराज गुप्ता, निशांक तिवारी, अमित तिवारी, सुशील गर्ग, रामबिहारी पटेल, रमेश काम्बले आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को ई-मेल कर मांग की है कि राज्य शासन के कर्मचारियों को भी आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाये, समूह बीमा योजना और चिकित्सी बीमा योजना लागू की जाये, जिससे कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सके।