मध्य प्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ के महासचिव विनय कुमार सिंह परिहार ने कहा कि पहले से ही बिजली कंपनियों को सरकार से सब्सिडी की राशि लगभग 20,000 करोड़ रुपए लेना है। विद्युत अधिनियम 2003 धारा 65 यह कहती है विद्युत बिल माफ करने से पहले सरकार को सब्सिडी की राशि बिजली कंपनियों में जमा करनी होती है। इसके बावजूद प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सोमवार को विधानसभा में लगभग 5 हजार करोड रुपए के बिल माफी की घोषणा कर दी।
व्हीकेएस परिहार ने कहा कि एक ओर सरकार माफी योजना चलाती है, दूसरी ओर विद्युत अधिकारी कर्मचारियों पर राजस्व वसूली का इतना दबाव डाला जाता है कि मारपीट की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को बिजली कंपनियों से राजस्व वसूली का काम राजस्व विभाग को देने का प्रस्ताव दिया, ताकि विद्युत अधिकारी कर्मचारी बिजली व्यवस्था निरंतर बनाने में काम कर सकें।
उन्होंने बताया कि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2013 में जन संकल्प पत्र जारी किया था। जिसके ऊर्जा विभाग के पेज नंबर-33 बिंदु क्रमांक 6 में संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, जो आज तक पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों में नियमित स्टाफ की भारी कमी है। बिजली संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण होना चाहिए और साथ ही बिजली कंपनियों में लगे हुए आउटसोर्स कर्मचारियों का कंपनी में संविलियन होना भी जरूरी है।