मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों ने जब से पेपरलेस बिजली बिल की व्यवस्था शुरू की है, तब से उपभोक्त और राजस्व वसूली के लिए तैनात बिजली कर्मियों के बीच विवाद के मामलों में इजाफा हो रहा है। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जब से पेपरलेस बिजली बिल उपभोक्ताओं को दिए जा रहे हैं, तब से उन उपभोक्ताओं द्वारा पुरानी व्यवस्था के तहत बिजली बिल की मांग की जा रही है, जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं और वो वर्चुअल बिल नहीं देख पाते।
उन्होंने बताया कि गरीब और अनपढ़ उपभोक्ता जिनके पास मोबाइल नहीं है या स्मार्टफोन नहीं है, वे बिजली का बिल न मिलने से अत्यधिक परेशान है। राजस्व वसूली के लिए पहुंचे तकनीकी कर्मचारियों से अनेक उपभोक्ताओं का कहना है कि हमारे बिजली के बिल में ₹2 रुपया अतिरिक्त जोड़ दिया जावे, किंतु बिजली का बिल दिया जावे।
इसके अलावा हरेंद्र श्रीवास्तव का कहन है कि जमीनी अधिकारियों के द्वारा अवकाश के दिन भी राजस्व वसूली के लिए तकनीकी कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी जाती है, लेकिन इसका अतिरिक्त वेतन अधिकारियों के द्वारा नहीं दिया जाता है। जब कर्मचारी राजस्व वसूली करने जाते हैं, तो पिछले माह का जमा की गई राशि, वर्तमान बिल से घटाई नहीं जाती, उसकी वजह से भी उपभोक्ता के साथ विवाद की स्थिति बनती है।
वहीं राजस्व वसूली करके कर्मचारी शाम को आता है तो ना अधिकारी मिलते हैं ना बाबू मिलते हैं। कई जगह सर्वर डाउन रहने से उपभोक्ता का पैसा जमा नहीं हो पाता है। अधिकारियों से संपर्क करने पर वह भी पैसा अपने पास नहीं रखते हैं। अनेक कर्मचारियों को मजबूरी में जोखिम उठाकर अपने घर पैसा ले जाना पड़ता है।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, जेके कोस्टा, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, आजाद सकवार, सुरेंद्र मेश्राम, जगदीश मेहरा, वीरेंद्र विश्वकर्मा, राजेश यादव आदि ने पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि उपभोक्ता एवं कर्मचारी के बीच में विवाद की स्थिति न बने इसलिए अनपढ़ व गरीब उपभोक्ता, जिनके पास मोबाइल नहीं है और जो पढ़ लिख नहीं सकते हैं, उनके बिजली के बिल में ₹2 जोड़ दिया जावे उनको पेपर बिल दिया जावे।
इसके अलावा संघ ने अवकाश के दिन राजस्व वसूली के लिए कर्मचारियों को बुलाने के लिए नियमानुसार लिखित आदेश निकाला जावे एवं अतिरिक्त वेतन दिया जावे। कर्मचारियों के द्वारा राजस्व वसूली करके लाने पर संग्रहित राशि जमीनी अधिकारियों को जमा करने की जिम्मेदारी देने की मांग की है।