जबलपुर (हि.स.) मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान वकील द्वारा असत्य कहे जाने पर न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी। मामला यह है कि केयर हेल्थ इंश्योरेंस गुरुग्राम द्वारा जबलपुर की एक महिला के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से एक अन्य अधिवक्ता मयंक जाट ने पक्ष रखते हुए निवेदन किया कि जिन अधिवक्ता को बहस करना है वे जयपुर गए हुए हैं। इस आधार पर उन्हें इस मामले में पेशी की अगली तारीख दे दी जाए।
अधिवक्ता के निवेदन पर न्यायाधीश जीजी अहलूवालिया ने अधिवक्ता से कहा कि यदि अधिवक्ता जयपुर गए हैं तो उनके सफर में ट्रेन या फ्लाइट की टिकट अथवा रास्ते में पड़े टोल बूथ के कोई भी कागजात दिखाकर इस बात की तस्दीक की जाए कि वह बाहर गए हैं। इसके 10 मिनट बाद मामले की दोबारा सुनवाई में याचिकाकर्ता की तरफ से एक अन्य अधिवक्ता समीर व्यवहार ने न्यायाधीश को बताया की बहस करने वाले अधिवक्ता कहीं बाहर नहीं गए हैं एवं अधिवक्ता मयंक जाट द्वारा कोर्ट के सामने असत्य कहा गया है।
इसके बाद न्यायाधीश जीएस अहलूवालिया ने अपने आदेश में कहा कि यह चौका देने वाला मामला है कि काउंसिल के द्वारा पेशी को आगे बढ़ाने के लिए झूठा बहाना बनाया गया। कोर्ट के सामने असत्य कहने के आधार पर यह याचिका खारिज की जाती है तथा याचिकाकर्ता को एक माह के भीतर 5 हजार रूपये इस कोर्ट में जमा करने के आदेश दिए जाते हैं। यदि याचिका करता एक माह के भीतर यह रकम जमा नहीं करते हैं तो इस रकम की वसूली के लिए कार्यवाही शुरू करने के साथ ही कोर्ट की अवमानना का मुकदमा भी याचिकाकर्ता के ऊपर दर्ज किया जाए।