ये तो सर्वविदित है कि किसी भी सरकारी कार्यालय में कोई कार्य कराना कितना दुष्कर है। लेकिन बात जब विभाग के ही अन्य कर्मचारी और उसके परिजनों से जुड़ी हो और विभागीय कर्मचारियों का असहयोगपूर्ण रवैया सामने आये तो कोफ्त होना और सरकारी तंत्र से भरोसा उठना लाज़िमी है।
विडंबना है कि सरकारी कार्यालयों के बाबूओं के मकड़जाल में उलझी फाइलें अक्सर गुम हो जाती हैं और इसी के साथ परिजनों और पीड़ितों की आस भी दम तोड़ने लगती है। फिर भी असंवेदनशील हो चुके सरकारी तंत्र से अच्छाई की आस लगाए पीड़ित कार्यालयों के चक्कर लगाते रहते हैं।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना काल में अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए असमय काल कवलित होने वाले सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने का ऐलान किया था। जिसके बाद ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना 1 अप्रैल से 31 मई 2021 (दो माह) तक की अवधि हेतु पुन : लागू की गई थी।
जिसके तहत शासकीय कर्मी के अतिरिक्त राज्य सरकार के विभागों के कर्मचारी या उसके बोर्ड, निगम, प्राधिकरण, एजेंसी, कंपनियों तथा स्थानीय निकाय आदि के द्वारा नियुक्त स्थायी, अनुबंधित, दैनिक वेतन भोगी, तदर्थ तथा आउट सोर्स कर्मियों, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को कोरोना योद्धा मानते हुए मृत्यु होने की स्थिति में आश्रित परिजन को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने का प्रावधान किया गया था।
ऐसा ही एक मामला मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत सागर रीजन में सामने आया है, जहां कोरोना संकट के समय ईमानदारी से अपनी डयूटी करने वाले सागर ओएंडएम वृत्त में पदस्थ लाइन परिचारक लक्ष्मी नारायण नामदेव स्वयं कोरोना संक्रमण के शिकार हो गए। जिसके बाद उन्हें 8 अप्रैल को उपचार के लिए शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
करीब 10 दिन चले उपचार के बाद भी उन्हें नहीं बचाया जा सका। अपने घर के मुखिया को खोने के बाद परिजनों ने जैसे तैसे खुद को संभाला और उन पर आश्रित उनके पुत्र विनय कुमार नामदेव ने इसके बाद मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति हेतु आवेदन किया।
लेकिन अधीक्षण अभियंता कार्यालय सागर ओएंडएम वृत्त के बाबू ने आवेदक की फाइल ही गुम कर दी और 20 दिन बाद आवेदक विनय कुमार से दोबारा आवेदन प्रस्तुत करने को कहा। इसके बाद आवेदक ने पुनः आवेदन प्रस्तुत किया, जिसे सागर कलेक्ट्रेट कार्यालय भेजा गया।
जिसके आधार पर सागर कलेक्टर ने 13 जुलाई को आवेदक विनय कुमार नामदेव को मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना के तहत अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र घोषित कर दिया। लेकिन विद्युत विभाग के द्वारा 4 महीने बीतने के बाद भी मृतक लाइन परिचारक के पुत्र विनय कुमार नामदेव को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान नहीं की गई।
इतना ही नहीं मृतक लाइनमैन के परिजनों को अभी तक डीसीआरजी, जीपीएफ और जीटीआईएस का भी भुगतान नहीं किया गया है। जिसके कारण परिजन आर्थिक रूप से काफी परेशानी उठाने के लिए विवश हैं। परिजनों ने इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर भी की है, इसके बावजूद उनके प्रकरण का निराकरण नहीं किया जा रहा है।