मध्य प्रदेश में बिजली कर्मचारियों के संगठन यूनाइटेड फोरम के प्रांतीय संयोजक व्हीकेएस परिहार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि 9 सितंबर को जबलपुर में प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे के द्वारा विद्युत अधिकारी कर्मचारियों पर धारा 304ए का प्रकरण दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। जिसका यूनाइटेड फोरम पुरजोर विरोध करता है।
व्हीकेएस परिहार ने बताया कि मध्यप्रदेश की विद्युत कंपनियों में जहां एक और विद्युत उपभोक्ताओं एवं अधोसंरचना में निरंतर अत्यधिक वृद्धि हो रही है वहीं दूसरी ओर सभी वर्गों में नियमित एवं अनुभवी कर्मचारियों की भारी कमी है, जिससे प्रदेश की विदयुत वितरण व्यवस्था, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत सोचनीय स्थिति को प्राप्त हो रही है, इससे बहुधा उपलब्ध कार्यरत कर्मचारियों को उपभोक्ताओं के आक्रोश का सामना करना पड़ता है।
यूनाईटेड फोरम लगातार पिछले 5-6 वर्षों से बढ़े हुए उपभोक्ता एवं अधोसंरचना के अनुसार संगठनात्मक संरचना को पुनरीक्षित कर नियमित भर्ती की मांग करता आ रहा है, लेकिन शासन प्रबंधन की अरुचि एवं व्यवस्था में सुधार की रूचि न होने के कारण आज तक विद्युत वितरण कंपनियों के संगठनात्मक संरचना को अंतिम रूप न दिया जाना शासन की दृढ़ इच्छा एवं प्रबंधन की दिशाहीनता एवं लापरवाही को दर्शाता है। मैदानी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की निरन्तर सेवानिवृत के कारण फील्ड में कर्मचारियों की भारी कमी महसूस की जा रही है, जिससे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करना कठिन होता जा रहा है।
अनुभवी कर्मचारियों की भारी कमी के कारण जहां विद्युत व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पा रही है, वहीं लाईन कर्मचारियों की दुर्घटनाओं में भारी वृद्धि परिलक्षित हो रही है, जो कि शासन एवं प्रशासन की घोर लापरवाही दर्शा रही है एवं शासन एवं प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी अपनी नाकामियों को छिपाने के लिये नित्य नये निर्देश प्रसारित कर रहे है।
व्हीकेएस परिहार ने कहा कि पिछले दिनों मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर में एक अनैतिक, अप्रायोगिक एवं मैदानी अधिकारी एवं कर्मचारियों को प्रताडित करने वाला निर्देश प्रमुख सचिव ऊर्जा द्वारा दिया गया है। जिसमें फील्ड में किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर वहां पर पदस्थ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध धारा 304(A) के अंतर्गत (गैर इरादतन हत्या) के प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश दिये गये है, जिसकी पुष्टि जबलपुर की मीडिया ने भी की है।
उक्त निर्देश प्रसारित होने के उपरांत ही सभी मैदानी अधिकारी एवं कर्मचारी आक्रोशित हैं एवं इसी तारतम्य में 10 सितंबर 2022 को यूनाईटेड फोरम की वर्चुवल बैठक आयोजित की गई एवं इस प्रकार के निर्णय के संबंध में चर्चा कर, यह निर्णय लिया गया कि इस प्रकार के अनैतिक निर्देश का पुरजोर विरोध किया जायेगा।
इस संबंध में यह संज्ञान में लाना आवश्यक है कि 14 जुलाई 2018 को तत्कालीन प्रमुख सचिव ऊर्जा द्वारा इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें बिना जांच के किसी भी प्रकार की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं किये जाने का उल्लेख किया गया है, जो वर्तमान निर्देशों के सर्वधा विपरीत है।
उक्त नये निर्देशों के पालन में यदि कहीं भी इस प्रकार की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाती है तो प्रथम चरण में उस जिले के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी तुरंत कार्य वहिष्कार करने को मजबूर होगें। इसके बावजूद भी यदि कार्यवाही जारी रहती है, तो पूरे प्रदेश के वितरण कंपनियों में संपूर्ण कार्य बहिष्कार किया जायेगा। जिसकी पूर्ण जबाबदारी शासन एवं प्रशासन की होगी। फोरम का अनुरोध है कि प्रमुख सचिव ऊर्जा द्वारा दिये गये उक्त अवैधानिक, अनैतिक एवं बिना सोचे समझे दिये गये निर्देशों पर तुरंत रोक लगाई जायें।