मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर संरक्षक योगेंद्र दुबे, जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया कि सरकारी कार्यालयों में ठेकेदारों के दिहाड़ी कंप्यूटर ऑपरेटरो से बिना जवाबदारी के गोपनीय, संवेदन शील, वित्तीय, जनहितैषी कार्य करवाए जा रहे है। इन कर्मचारियों की दैनिक हाजरी भी नहीं ली जाती है, अनुपस्थित रहने पर भी पूरे माह का प्रमाण पत्र कार्यालयों से बनाए जा रहे है और पूरे माह का वेतन भी दिया जा रहा है, इन कर्मचारियों पर किसी प्रकार का दबाव या सेवा भरती नियम या दंडित करने का प्रावधान नहीं है। बिना जवाबदारी के अति गोपनीय, जरूरी,वह कार्य भी करते है, जो सभी नियमित कर्मचारी नहीं करते।
कुछ कार्यालयों में नियमित कर्मचारियों की गोपनीय चरित्रावली भी ठेकेदार के कर्मी लिख रहे हैं। लोक सेवा केंद्र, नगर निगम में टैक्स वसूली, स्टेनो, टेंडरों, लैब की रिपोर्ट बनाना, जन्म मृत्यु, आधार कार्ड, वोटर आईडी, वेतन बनाने, कोषालयों, पेंशन कार्यालयों, आरटीओ में रजिस्ट्रेशन, रजिस्ट्री कार्यालयों में फोटो उतारना, रजिस्ट्री के सभी कार्य, बिजली बिल, कार्यालयों में वित्तीय कार्य, विश्वविद्यालय में गोपनीय कार्य, पुलिस विभाग में कंप्यूटर कार्य, विकास प्राधिकरण कार्यालय में प्लाट, आवास आवंटन कार्य, ट्रैफिक कार्यालय में चालान काटने का कार्य।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे, जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, विश्वदीप पटैरिया, मुकेश चतुवेर्दी, संतोष मिश्रा, नरेश शुक्ला, रविकांत दहायत, देव दोनेरिया, संजय गुजराल, यूएस करोशिया, राजेंद्र तेकाम, मुकेश मरकाम, अजय दुबे, योगेन्द्र मिश्रा, अजुर्न सोमवंसी, रवि बांगड़, पीएल गौतम, संतोष दुबे ने ठेकेदारों के कर्मचारियों के लिए नियम कानून बनाने की मांग की है। जिससे अनावश्यक सरकारी कर्मचारियों के ऊपर दोषारोपण ना किया जा सके।