मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने भोपाल स्थित अपने निवास कार्यालय पर सड़क निर्माण में प्रयुक्त होने वाले बिटुमेन (डामर) की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और निर्माण कार्यों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के पदाधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की।
बैठक में मंत्री राकेश सिंह ने सभी से चर्चा उपरांत निर्णय लिया कि अब सड़क निर्माण स्थल पर जीपीएस आधारित ई-लॉकिंग सिस्टम वाले टैंकरों से डामर की सप्लाई की जाएगी। इस प्रक्रिया से डामर की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और निर्माण कार्यों में पारदर्शिता आएगी। यह व्यवस्था इस प्रकार होगी कि रिफाइनरी स्तर पर टैंकर लॉक हो जाएगा और परिवहन रूट भी परिभाषित कर दिया जाएगा। अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने के बाद संबंधित अधिकारी द्वारा मोबाइल पर प्राप्त ओटीपी डालने पर ही टैंकर अनलॉक होगा।
मंत्री राकेश सिंह ने यह भी निर्देश दिए कि ठेकेदार के हॉटमिक्स प्लांट पर डामर की सप्लाई के समय संबंधित इंजीनियर द्वारा रिफाइनरी के पोर्टल से सप्लाई देयक को वेरीफाई किया जाएगा। बैठक में सरकारी रिफाइनरी कंपनियों से पर्याप्त मात्रा में डामर उपार्जन के लिए संभावित सहयोग पर भी चर्चा की गई।
मंत्री राकेश सिंह ने औचक निरीक्षण के लिए नई व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिये, जिसके अंतर्गत मुख्य अभियंताओं का दल बनाकर प्रत्येक माह की 5 और 20 तारीख को निर्माण कार्यों का औचक निरीक्षण कराया जाएगा। इन निरीक्षणों के लिए जिलों, निर्माण कार्यों और निरीक्षण दलों का चयन सॉफ्टवेयर के माध्यम से रैंडम आधार पर किया जाएगा। निरीक्षण के लिए मुख्य अभियंताओं को दो दिन पहले जिलों की सूचना दी जाएगी, जबकि उन्हें निरीक्षण कार्यों की जानकारी एक दिन पूर्व शाम को दी जाएगी।
इस औचक निरीक्षण व्यवस्था में निरीक्षण के एक दिन पहले तक किसी विभागीय अधिकारी, कर्मचारी या ठेकेदार को पता नहीं होगा कि निरीक्षण दल किन जिलों में जायेगा और किन निर्माण कार्यों का निरीक्षण करेगा। निरीक्षण दलों, जिलों, निर्माण कार्यों का चयन आदि सब कुछ आटोंमेटेड साफ्टवेयर के माध्यम से होगा। निरीक्षण के उपरांत सभी दल अपनी निरीक्षण रिपोर्ट अगले ही दिन जियोटैग्ड फोटोस के साथ सीधे सॉफ्टवेयर पर अपलोड करेंगे।
निरीक्षण के दौरान लिये जाने वाले सामग्री के सेंपल भी रेण्डम आधार पर चयनित स्थानों से लिये जायेंगे और गोपनीय क्यूआर कोड के साथ सेंपल्स को सील किया जायेगा। इन सेम्पल्स का परीक्षण करने वाली प्रयोशालाओं को सेम्पल्स के साथ केवल गोपनीय कोड मिलेगा। संबंधित ठेकेदार या लेब टेक्नीशियन को यह पता नहीं होगा कि सेम्पल किस रोड के किस स्थान से लिये गयें है। परीक्षण उपरांत रिपोर्ट गोपनीय कोड के साथ सीधे साफ्टवेयर पर अपलोड की जायेगा और साफ्टवेयर इसे डीकोड कर संबंधित रिपोर्ट के साथ जोड़ देगा।
मंत्री राकेश सिंह ने लोक निर्माण विभाग के दोनों प्रमुख अभियंताओं को भी माह में एक बार जिलों का दौरा कर निरीक्षण करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि वे स्वयं माह में एक बार निरीक्षण रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे। बैठक में ईएनसी केपीएस राणा, ईएनसी भवन बघेल सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।