मध्य प्रदेश के ऊर्जा विभाग द्वारा जबलपुर में मंथन कार्यशाला का आयोजन 5 से 7 मई के दौरान किया गया था, जिसमे प्रदेश की सभी विद्युत कंपनियों की भविष्य की योजनाओं को लेकर चर्चा की गई। कार्यशाला के अंतिम दिन 7 मई को आउटसोर्सिंग के पक्ष-विपक्ष में ओपन फॉर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था। इस कार्यक्रम में सभी को अपनी बात रखने की छूट दी गई थी, इस कार्यक्रम में कंपनी के एक जूनियर इंजीनियर ने आला अधिकारियों को खरी-खरी सुना दी।
जूनियर इंजीनियर ने कहा कि हमारे अधिकारी पहले कमीशन खाना बंद करें। सरकार तक कमीशन जाता है। हमारी सरकार ही जब विधायकों को खरीदकर बनी तो इस सरकार से कर्मचारी क्या उम्मीदें करें? मंथन से कुछ नही होता, हमारे अधिकारी बेईमानी कर रहे हैं। वो अपनी बेईमानी बंद कर दें। मेरा सोचना तो ये हैं कि सरकार ही बेईमानी से बनी है। विधायकों को खरीदा लिया गया, सरकार गिरा दी गई। हालांकि जेई के इतना बोलते ही माइक छीन लिया गया।
जूनियर इंजीनियर सदन पांडे ने कहा कि मंथन से कुछ नहीं होता, पहले बिजली विभाग में शोषण का खेल बंद होना चाहिए। कमीशनखोरी बंद हो, सब ठीक हो जाएगा। कार्यक्रम में ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे, पावर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी विवेक पोरवाल, तीनों वितरण कंपनियों के एमडी, पावर ट्रांसमिशन और जनरेशन कंपनी के एमडी, सभी कंपनियों के एससी, सीई, जेई, एई, लाइनमैन, और विशेषज्ञ भी मौजूद थे।
सदन पांडे ने बताया कि मैं तो पावर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी विवेक पोरवाल को सच बता रहा था। बस यही बता रहा था कि बिजली की गाइडलाइन का सही तरीके से पालन करा दिया जाए, बिजली कंपनी लाभ में आ जाएगी। आउटसोर्स कर्मचारियों को श्रम कानूनों का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा। उन्हें भी साप्ताहिक अवकाश मिलना चाहिए। कर्मचारियों का शोषण हो रहा है।
बताया जा रहा है कि मंथन कार्यक्रम में आला अधिकारियों को खरी-खरी सुनाने वाले जूनियर इंजीनियर सदन पांडे मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के जबलपुर सिटी सर्किल अंतर्गत दक्षिण संभाग में पदस्थ हैं। जेई सदन पांडे पहले भी इस तरह के सार्वजनिक कार्यक्रमों में बेबाकी से अधिकारियों को खरी-खरी सुना चुके हैं। इसके चलते जेई सदन पांडे का 30 साल की नौकरी में 40 बार ट्रांसफर हो चुका है। वहीं 5 बार निलंबित किए जा चुके हैं। वर्तमान में भी निलंबित चल रहे हैं।