मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि राज्य के कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई, जो जीपीएफ के रूप में प्रतिमाह कर्मचारी के वेतन से कम से कम 12 प्रतिशत काटी जाती है, सेवानिवृत्ति के उपरांत कर्मचारी इस राशि से अपने सपनों को पूरा करने का मन बना के रखता है।
परंतु मप्र के महालेखाकार द्वारा सेवानिवृत्त अथवा मृत कर्मचारी के आश्रितों को जीपीएफ के अंतिम भुगतान के लिए महीनों भटकाया जाता है। प्रक्रिया यह है कि सेवानिवृत्त कर्मचारी के अंतिम भुगतान के प्राधिकार संबंधित विभाग, कोषालय एवं संबंधित कर्मचारी को भेजे जाने का प्रावधान है।
किन्तु महालेखाकार ग्वालियर द्वारा सेवा निवृत्त कर्मचारी को अंतिम भुगतान के प्राधिकार पत्र केवल विभाग को प्रेषित किये जाते है, कोषालय एवं संबंधित को नहीं, जिस कारण उसके जीपीएफ का भुगतान नहीं हो पाता है। कर्मचारी अथवा उसका आश्रित महीनों भटकता रहता है। संगठन इस त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया की घोर निन्दा करता है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, नरेन्द्र दुबे, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, के.के. मिश्रा, दुर्गेश पाण्डे, आशुतोष तिवारी, सुरेन्द्र जैन, सतीश उपाध्याय, डॉ संदीप नेमा, मुकेश मिश्रा, बृजेश मिश्रा, मनोज सिंह, वीरेन्द्र चन्देल, एस.पी. बाथरे, तुषेन्द्र सिंह, जवाहर लोधी, नीरज कौरव, निशांक तिवारी, परशुराम तिवारी, दिलराज झारिया, सी.एन.शुक्ला, चुरामन गुर्जर, पंकज जायसवाल, योगेश कपूर, सतीश देशमुख आदि ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार परीक्षक (CAG) नई दिल्ली को ई-मेल के माध्यम से पत्र प्रेषित कर सेवानिवृत्त कर्मचारियों के हित में जीपीएफ के अंतिम भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए महालेखाकार मप्र द्वारा किये जा रहे कर्मचारी विरोधी कार्यों पर लगाम लगाने की मांग की है।