विद्युत तंत्र को चलायमान रखने वाले नियमित तकनीकी कर्मचारी लगातार सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं। वर्तमान में जो नियमित तकनीकी कर्मचारी शेष बचे हैं, उन पर सारे काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। साथ ही इनमें से अनेक कर्मचारी सेवानिवृत्ति की आयु के करीब पहुंच चुके हैं।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि 1988 से नियमित तकनीकी कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं दिया गया है। तकनीकी कर्मचारी हेल्पर के पद में रहते हुए ही सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि करंट का कार्य करने का अधिकार सिर्फ सहायक लाइनमैन एवं लाइनमैन को होता है, लेकिन उनकी संख्या मुट्ठी भर रह गई है। ऐसी स्थिति में विद्युत अधिकारियों द्वारा संविदा और आउट सोर्स तकनीकी कर्मियों पर दबाव बनाकर करंट का कार्य कराया जा रहा है।
हरेन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि संविदा कर्मचारियों एवं ठेका श्रमिकों को करंट का कार्य करने का अधिकार नहीं है। चालू लाइन पर करंट का कार्य करने का अधिकार सिर्फ नियमित तकनीकी कर्मचारी को है।
उन्होंने बताया कि जमीनी अधिकारी विभागीय कार्यवाही का भय दिखाकर संविदा कर्मचारी एवं ठेका श्रमिकों से जबरन करंट का कार्य करवाते हैं और कार्य के दौरान करंट लगकर दुर्घटना होने पर, घटना का पूरा जिम्मेदार उसी कर्मचारी को ठहरा देते हैं। उनसे ये भी कहा जाता है कि तुमको तो करंट का कार्य करने का अधिकार ही नहीं था।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ ने मध्य प्रदेश सरकार से कहा है कि प्रदेश के सभी 52 जिलों की विद्युत व्यवस्था कैसे चलायमान रखना चाहते हैं तो यथाशीघ्र नियमित तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती की जाए।
इसके अलावा तकनीकी कर्मचारियों को जमीनी अधिकारियों के द्वारा अवकाश नहीं दिया जा रहा है। संघ के एसके मौर्या, रमेश रजक, केएन लोखंडे, जेके कोष्टा, अजय कश्यप, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, अमीन अंसारी, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, महेंद्र पटेल, आदि ने प्रदेश की सभी विद्युत कंपनियों के प्रबंधन से मांग की है कि कर्मचारियों का प्रमोशन करें, संविदा कर्मचारियों को नियमित करें, आउट सोर्स कर्मियों का कंपनी में संविलियन किया जाये, कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश दिया जाये, श्रम नियमों एवं मानव अधिकारों का पालन किया जाये।