विद्युत पेंशनर्स का पत्र सीएम चौहान के नाम: डीए की वृद्धि के लिए छत्तीसगढ़ की सहमति का बहाना बंद करे सरकार

विद्युत पेंशनर्स हित रक्षक संघ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केपी पत्र लिखकर का है कि मध्य प्रदेश सरकार मध्य प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 अनुसूची 6 की त्रुटियुक्त व्याख्या कर छत्तीसगढ़ शासन की सहमति प्राप्त न होने का बहाना लेकर मध्य प्रदेश में पेंशनर्स का डी आर नहीं बढ़ाती हैं।

जबकि केंद्र सरकार के ईपी विभाग के अंडर सेक्रेटरी द्वारा पत्र दिनांक 13.11.2017 द्वारा यह स्पष्ट किया जा चुका है कि उपरोक्त अधिनियम में कहीं यह नहीं लिखा है कि पेंशन के दायित्व स्वीकृत करने हेतु दोनों राज्यों मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्यों की आपसी सहमति की आवश्यकता है किंतु उपरोक्त स्पष्टीकरण के बावजूद मध्यप्रदेश शासन द्वारा अपने पेंशनर्स को बढ़ी दर से महंगाई राहत का भुगतान नहीं किया जाना अत्यंत खेदजनक है।

संघ ने कहा कि आपको विभिन्न माध्यमों से यह भली-भांति ज्ञात हो गया होगा कि मध्य प्रदेश के लाखों पेंशनर्स बढ़ी हुई दर से महंगाई राहत का भुगतान नहीं किए जाने के कारण आक्रोशित हैं तथा मध्य प्रदेश शासन के विरोध स्वरूप वे दिनांक 14 जून 2022 को प्रदेश व्यापी धरना एवं रैली प्रदर्शन आयोजित कर हैं। इसके अलावा प्रेस विज्ञप्ति, सोशल मीडिया तथा पॉम्पलेट द्वारा स्थानीय निकायों यथा नगर निगम, नगर पालिका एवं ग्राम पंचायत चुनाव में विरोध स्वरूप वोट नहीं देने का इरादा भी जाहिर किया जा रहा है।

संघ ने कहा कि आप इतने संवेदनशील हैं कि जब भी किसी एक नागरिक पर कोई आघात करता है, तो उसके घर पहुंच कर उसे सांत्वना एवं सहायता राशि देने में अग्रणी रहते हैं, किंतु यह अत्यंत आश्चर्य एवं खेदजनक है कि प्रदेश के लाखों वृद्ध पेंशनरों की पीड़ा से आप जरा भी द्रवित नहीं हो रहे हैं तथा उनके द्वारा निरंतर निवेदन करने के बावजूद भी उन्हें नियमानुसार देय बढ़ी हुई दर से महंगाई राहत का भुगतान करने में निष्ठुर बने पेंशनर्स को देय 34% के स्थान पर मात्र 17% ही महंगाई राहत मिल रही है जो शासन के पेंशनर्स के प्रति अन्याय पूर्ण रवैए का द्योतक है।

संघ ने मांग की है कि मुख्यमंत्री वृद्ध पेंशनर्स को बड़ी हुई दर से महंगाई राहत भुगतान करने का आदेश अविलंब जारी कर मानवीय संवेदनशीलता का परिचय देवें। साथ ही संघ ने सभी पेंशनर्स से अपील की 14 जून 2022 में धरना प्रदर्शन में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित हो।