मध्य प्रदेश में विगत लगभग 10 वर्षो से राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं हो रही है, कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो जा रहे है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को कर्मचारियों की पदोन्नति देने के संबंध में स्वतंत्र कर दिया गया है। वहीं इस मामले में राज्य शासन द्वारा पदोन्नति हेतु मंत्री समूह की पदोन्नति समिति का गठन किया गया है, इस कमेटी की अनेक दौर की बैठक होने के बाद भी पदोन्नति पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि पूरे देश में केवल मप्र शासन द्वारा अपने कर्मचारियों को पदोन्नति से वंचित रखा गया है। पदोन्नति की इस हीला हवाली से ऐसा प्रतीत होता है की शासन अपने कर्मचारियों को कभी सर्वोच्च न्यायालय के नाम पर कभी कर्मचारी संगठनों के आपसी मतभेद के नाम पर पदोन्नति से वंचित रखना चाहती है। शासन की इस कर्मचारी विरोधी नीति से प्रदेश लगभग 10 लाख कर्मचारियों में निराशा एवं आक्रोश व्याप्त है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मिर्जा मन्सूर बेग, योगेन्द्र मिश्रा, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डे, आशुतोष तिवारी, डॉ संदीप नेमा, बृजेश मिश्रा, एसपी वाथरे, वीरेन्द्र चन्देल, प्रकाश सेन, सुरेन्द्र जैन, नेतराम झारिया, संतकुमार छीपा, श्रीराम झारिया, श्यामनारायण तिवारी, महेश कोरी, मनीष लोहिया, संतोष तिवारी, प्रियांशु शुक्ला, विनय नामदेव पवन ताम्रकार, विष्णु पाण्डे आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति पर शीघ्र निर्णय लिया जाये।