मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश पारम्परिक विद्युत उत्पादन के साथ ही गैर-पारम्परिक ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से कार्य कर अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बनेगा। सूरज से बिजली बनाने का कार्य अभियान का रूप लेगा। सभी नागरिक बिजली की बचत और वैकल्पिक ऊर्जा के साधनों से निर्मित बिजली के उपयोग को प्रोत्साहन दें, इसके लिए जागरूकता अभियान को गति प्रदान की जाएगी।
सीएम चौहान ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में जिन तीन संयंत्र का भूमि-पूजन हुआ है, उनसे मार्च 2023 से ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को मार्च 2023 के पहले ही प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा। आगर जिले में 550, शाजापुर जिले में 450 मेगावॉट और नीमच जिले में 500 मेगावॉट की ये इकाइयाँ सौर ऊर्जा उत्पादन का परिदृश्य बदलने में सहयोगी होगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में रोजाना 5300 मेगावॉट सौर ऊर्जा पैदा की जा रही है। दिल्ली की मेट्रो रेल के लिए भी मध्यप्रदेश में उत्पादित बिजली का उपयोग होता है।
सीएम चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में ऊर्जा उत्पादन में नई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। छतरपुर में ऐसा सोलर पार्क स्थापित किया जा रहा है, जिससे विद्युत स्टोरेज भी संभव हो सकेगा। अब तक विद्युत भंडारण की समुचित व्यवस्था न होने से उत्पादित विद्युत का शत-प्रतिशत उपयोग संभव नहीं होता था। मुरैना में भी नवीन सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। साथ ही ओंकारेश्वर में पानी पर तैरते संयंत्र (फ्लोटिंग) की स्थापना की पहल मध्यप्रदेश को इस क्षेत्र में अलग पहचान दिलाएगी।
पीएम मोदी के संकल्प को करेंगे पूरा
सीएम चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व को पंचामृत प्रदान किया है। इस पंचामृत में से एक अमृत, पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण का है। उनका संकल्प है कि देश में वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 45 प्रतिशत की कमी आए। इस लक्ष्य को पूरा करने में मध्यप्रदेश बढ़-चढ़ कर भागीदारी करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करते हुए शून्य तक ले जाने का लक्ष्य है। अभी प्रारंभिक लक्ष्य में उत्सर्जन में वर्ष 2030 तक एक बिलियन टन की कटौती होगी। वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य है। मध्यप्रदेश अपने दायित्व के निर्वहन में पीछे नहीं रहेगा। टीम मध्यप्रदेश कार्बन उत्सर्जन को कम करने के राष्ट्रहित के कार्य में समर्पित भावना से कार्य करेगी। पर्यावरण को बचाने के लिए सौर ऊर्जा और नवकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाया जाएगा।