मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि कोरोना जैसी जानलेवा वैश्विक बीमारी की चपेट में आने से विद्युत तंत्र को चलायेमान रखने वाले अनेक नियमित, संविदा और आउट सोर्स विद्युत कर्मियों की मृत्यु हो चुकी है एवं अनेक विद्युत कर्मी सरकारी एवं प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती होकर अपना इलाज करा रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार और कंपनी प्रबंधन ने आँखें मूंद ली हैं।
संघ द्वारा मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों के प्रबंधकों से मांग की गई है कि आउट सोर्स के कर्मचारियों को 8 हजार रुपये प्रति माह वेतन मिलता है, वहीं संविदा कर्मचारियों को 20 हजार रुपये प्रति माह वेतन मिलता है। जबकि नियमित कर्मचारियों को 60 हजार रुपये प्रति माह वेतन मिलता है। ऐसे में अगर अचानक परिवार के मुखिया को कोरोना बीमारी हो जाती है तो वह इलाज के लिए पैसे कहां से लाएगा।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर लगभग 3 लाख रुपये का खर्च आना तय है। संघ के द्वारा मध्य प्रदेश शासन एवं विद्युत मंडल की सभी कंपनी प्रबंधन को पत्र लिखकर अनेक बार कहा गया एवं चर्चा की गई कि विद्युत कर्मचारियों का 20 लाख रुपये का बीमा किया जावे एवं कैशलेस की सुविधा दी जावे। मगर आज तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई, अगर विद्युत कर्मियों को कैशलेस की सुविधा मिलती तो वह निश्चिंत होकर अपना इलाज करा लेता।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, रमेश रजक, एसके मौर्य, के एन लोखंडे, एस के शाक्य, अजय कश्यप, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, शशि उपाध्याय, गोपाल यादव, हीरेंद्र रोहिताश, मदन पटेल, दशरथ शर्मा, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, संजय वर्मा, सुरेंद्र मेश्राम आदि के द्वारा सभी विद्युत कंपनी प्रबंधकों से मांग की गई है कि विद्युत कर्मियों के इलाज के लिए तत्काल पैसों की व्यवस्था की जावे, जिससे विद्युत कर्मियों की जान बचा सके।