मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि विश्वव्यापी आपदा कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप पूरे देश के साथ-साथ प्रदेश में भी है। कोरोना की इस दूसरी लहर में राज्य शासन के कर्मचारी एवं उनका परिवार भी इसकी चपेट में आ रहे है।
शासकीय अस्पतालों में बिस्तर न मिलने की स्थिति में कर्मचारी एवं उनका परिवार मंहगे प्राईवेट अस्पतालों में इलाज कराने मजबूर है। जहां अस्पताल में मरीज के एडमिशन के पहले ही लाखों रुपये एडवांस के रूप में जमा करा लिए जाते हैं, कर्मचारी के पास एक मुश्त इतनी बड़ी रकम न होने के कारण उन्हें बाजार से ब्याज पर पैसा उठाना पड़ जाता है, जो तत्काल पैसे की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं, उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ जाता है।
यद्यपि शासन के द्वारा एक लम्बी प्रक्रिया के बाद कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ दिया जाता है, जिसमें वर्षों लग जाते है। कोरोना के इस दौर में शासन यदि केंद्र सरकार की तर्ज पर चिकित्सा अग्रिम की राशि कर्मचारियों को बीमार पडते ही दे दी जाये तो कर्मचारियों को दर-दर भटकना नहीं पडेगा और उनकी जान भी बचाई जा सकती है।
संघ के आदि योगेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, दुर्गेश पाण्डे, मुकेश धनगर, अजय सिंह ठाकुर, विजय गौतम, अतुल जोशी, राकेश सेंगर, नितिन अग्रवाल, राकेश उपाध्याय, तरूण पंचौली, मनीष चौबे, श्यामनारायण तिवारी, राकेश दुबे, धीरेन्द्र सोनी, मो. तारिक, अब्दुल्ला चिश्ती, प्रणव साहू, मनीष लोहिया, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला ने मुख्यमंत्री को ई-मेल के माध्यम से पत्र भेजकर मांग की है कि कोविड महामारी के इस दाैर में केन्द्र शासन के समान राज्य कर्मचारियों को भी चिकित्सा अग्रिम सुविधा दी जाये, ताकि कोरोना पीडित कर्मचारियों की जान बच सके।