भोपाल (हि.स.)। मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन मंगलवार को उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने का विधेयक सदन में पेश किया। इसका विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया और सदन में नारेबाजी करते हुए जमकर हंगामा किया। हंगामे के बीच ही सदन में विधेयक पारित हो गया। विधेयक पारित होने के बाद अब ऑनलाइन गेमिंग भी जीएसटी के दायरे में आ गया है। राज्य सरकार अब ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी जीएसटी वसूल करेगी।
मध्य प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू हुई। इस दौरान आठ सदस्यों ने सदन में सवाल उठाए। इसके बाद वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने के लिए विनियोग विधेयक 2024 पेश किया। इसका कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत, अभिजीत शाह और अभय मिश्रा ने विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि सरकार जुआ-सट्टा को वैधता देने जा रही है। अन्य विधायकों ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग को वैधानिक करने से लोग और अधिक ऑनलाइन गेम खेलेंगे। यह अच्छा नहीं है।
इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग की लत न लगे, इसके लिए ही जीएसटी लगाने का फैसला किया है। इस पर कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया और नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। इस बीच सदन में विधेयक पारित हो गया। इसके बाद सदन की कार्यवाही तीन बजे तक स्थगित कर दी गई है।
गौरतलब है कि अब तक ऑनलाइन गेम खेलने वाले व्यक्ति को मिलने वाले कमीशन पर ही जीएसटी वसूला जाता था, लेकिन विधेयक पारित होने के बाद अब गेमिंग से होने वाली आय भी टैक्स के दायरे में होगी। सरकार इस संबंध में 27 जनवरी को अध्यादेश लागू कर चुकी है। विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद अब यह कानून बन गया है।
शासकीय विधेयक पेश किए गए
इससे पहले शून्यकाल में कुछ ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर चर्चा के बाद शासकीय विधेयक लाने की कार्यवाही शुरू हुई। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने उन 42 विधायकों के नाम लिए, जिन्होंने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लगाए थे। इसके बाद इनके प्रस्तावों को पढ़ा लिया माना गया। मंत्री गौतम टेटवाल प्रांतीय लघुवाद न्यायालय निरसन विधेयक 2024, इंदर सिंह परमार ने मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2024, राजेंद्र शुक्ल ने मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पेश किए।
हर लोकसभा क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज
सदन में स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि हर लोकसभा क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव है। इसके लिए पीपीपी मॉडल की संभावनाओं को टटोला जा राह है। संशोधन विधेयक के माध्यम से इसके प्रावधान किए जा सकेंगे। चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग को मर्ज किया जा रहा है। संशोधन विधेयक से इसकी राह खुलेगी। इस पर रामनिवास रावत ने पूछा कि नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता कौन प्रदान करेगा? स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसके लिए मेडिकल बोर्ड बनाया जाएगा। उससे ही सभी तरह की मान्यता दी जाएगी।
बाणगंगा नहर योजना का लाभ किसानों को नहीं
भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार ने कहा कि चित्रकूट क्षेत्र में बाणगंगा नहर योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। ध्यानाकर्षण में आए इस मुद्दे पर जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि इस संबंध में 72 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। विधायक ने टोका और बताया कि काम तो 15 प्रतिशत ही हुआ है। इस पर मंत्री ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी से कामों की जांच कराएंगे। 2025 तक शेष काम भी पूरा हो जाएगा।
पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने की मांग
कांग्रेस विधायक अभय कुमार मिश्रा ने पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाने की मांग की। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मिश्रा ने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों को मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी उनकी मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाया जाना चाहिए। इस पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि बीते समय में वेतन तीन गुना बढ़ाया जा चुका है। इस समय इस मद के लिए कोई प्रस्ताव सरकार के पास लंबित नहीं है।
किसान आंदोलन पर सरकार को घेरा
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सदन में किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की 70 फीसदी अर्थव्यवस्था कृषि क्षेत्र पर आधारित है। किसान ही आर्थिक गतिविधि बनाते हैं। किसानों के जेब में पैसा हो तो गांव के किराने की दुकान चलती है। एमएसपी सबसे बड़ी चीज है। हर किसान को गारंटी होनी चाहिए।