मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि राज्य शासन अपने ही कर्मचारियों के साथ चिकित्सा सुविधा प्रदान करने में भेदभाव कर रहा है। प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों को कैशलैस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रही है।
संघ का कहना है कि कर्मचारियों को गंभीर बीमारी के समय इलाज कराने पर अत्यधिक पैंसों की आवश्यकता होती है, कर्मचारियों के पास इतना ज्यादा पैसा उपलब्ध नहीं होने के कारण वह समय पर अपना इलाज नहीं करा पाता है, जिससे कई कर्मचारियों की आकस्मिक इलाज के अभाव में अकाल मृत्यु हो जाती है, जिससे कर्मचारी का पूरा परिवार तबाह हो जाता है।
प्रदेश सरकार सिर्फ पुलिस विभाग को निजी चिकित्सालयों में कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान कर रहा है। बाकी समस्त विभागों के कर्मचारियों के लिए निजी चिकित्सालयों में कैशलेस सुविधा उपलब्ध न होने के कारण अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार अपने कर्मचारियों से सौतेला व्यवहार बंद करे। कर्मचारियों में अत्यधिक रोष व्याप्त है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, संजय यादव, नरेन्द्र दुबे, मुकेश सिंह, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, मनीष शुक्ला, मनीष लोहिया, आशुतोष तिवारी, विनोद पोद्दार, दुर्गेश पाण्डेय, नवीन यादव, अशोक मेहरा, मुकेश मिश्रा, नीरज मिश्रा, अमित पटेल, सतीश देशमुख, सीएन शुक्ला, चूरामन गूजर, पंकज जायसवाल, निशांक तिवारी, तुषरेन्द्र कौरव, नीरज कौरव, रमेश काम्बले, रितुराज गुप्ता, अमित गौतम, अनिल दुबे, परशुराम तिवारी, दिलराज झारिया, रामकृष्ण तिवारी, सुरेश दाहिया, संदीप चौबे इत्यादि ने मुख्यमंत्री से ईमेल कर मांग की है कि राज्य शासन के कर्मचारियों से सौतेला एवं दोहरा व्यवहार बंद कर शीघ्र ही समस्त कर्मचारियों को कैशलैस चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाये।