मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया कि मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 11 सितंबर 2012 को जारी आदेश के अनुसार नगर निगम सीमा के अंतर्गत निवासरत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी लोक सेवकों के लिए वाहन भत्ता 200 रुपये प्रतिमाह स्वीकृत किया गया है। वर्तमान में पेट्रोल-डीजल के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में भी कर्मचारियों को 200 रुपये ही वाहन भत्ता दिया जा रहा है, जिसमें दो लीटर पेट्रोल भी नहीं आ पाता। जबकि कार्यालय आने-जाने में ही लगभग प्रतिमाह 1500-2000 रुपये खर्च हो रहा है, जिसके कारण कर्मचारी का आर्थिक बजट गडबडा गया है।
लगभग 10 वर्ष बीतने के बाद भी मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वाहन भत्ते में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। प्रदेश सरकार द्वारा तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के लोक सेवकों को वृत्तिकर से मुक्त किये जाने का वादा भी किया गया था, जिसे भी पूरा नहीं किया गया है। जिसके कारण प्रदेश के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के लाखों कर्मचारियों में अत्याधिक रोष व्याप्ता है। प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों को प्राप्त होने वाले वाहन भत्ते की राशि 200 रुपये के स्थान पर बढ़ोत्तरी कर 1500 रुपये की जाये और वृत्तिकर से तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को मुक्त किया जाये।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अरवेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, अमित नामदेव, राजेश गुर्जर, अशीष सक्सेना, ब्रजेश ठाकुर, सुधीर खरे, तपन मोदी, नितिन श्रृंगी, राजेन्द्र श्रीवास्तव, धीरज कुरील, मिलन बरकड़े, एआई मंसूरी, राकेश सुनमोरिया, सुरेन्द्र श्रीवास्तव, गोविन्द बिल्थरे, रजनीश तिवारी, डीडी गुप्ता, पवन श्रीवास्तव, श्याम नारायण तिवारी, नितिन शर्मा, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, संतोष तिवारी, प्रियांशु शुक्ला, महेश कोरी आदि ने मुख्यमंत्री एवं प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त विभाग मध्यप्रदेश शासन को ईमेल भेजकर मांग की है कि वाहन भत्ते की राशि 1500 रुपये किये जाने व वृत्तिकर से तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को मुक्त किये जाने के आदेश शीघ्र जारी किये जावें।