मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया की विगत लगभग 10 वर्षों से राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं हो रही है, कर्मचारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त होते जा रहे है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को कर्मचारियों की पदोन्नति देने के संबंध में स्वतंत्र कर दिया गया है। उक्त तारतम्य में राज्य शासन द्वारा पदोन्नति हेतु मंत्री समूह की पदोन्नति समिति का गठन किया गया है, उक्त कमेटी की अनेकों दौर की बैठक होने के बाद भी पदोन्नति पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका है।
संघ का कहना है कि पूरे देश में केवल मप्र शासन द्वारा अपने कर्मचारियों को पदोन्नति से वंचित रखा गया है। राज्य कर्मचारियों मंत्री समूह की बैठकों से यह आस लगाये हुए थे कि दीपावली के पूर्व कर्मचारियों की पदोन्नति पर कोई ठोस निर्णय लिया जा सकेगा। प्रदेश लगभग 10 लाख कर्मचारी यह आस लगाये हुए हैं की मप्र स्थापना दिवस 1 नवम्बर 2022 मंत्री समूह की बैठक में पदोन्नति के नियम निर्धारित करते हुए पदोन्नति का रास्ता साफ हो सकेगा।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, बृजेश मिश्रा, नीरज मिश्रा, शकिल अंसारी, योगेन्द्र मिश्रा, मनीष चौबे, नितिन शर्मा, सुनील राय, महेश कोरी, अजय सिंह ठाकुर, आनंद रैकवार, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, श्यामनारायण तिवारी, मनोज सेन, धीरेन्द्र सोनी, मो. तारिक, विनय नामदेव, प्रियांशु शुक्ला, पवन ताम्रकार, दीपक सोनी, संतोष तिवारी, गणेश उपाध्याय, अभिषेक मिश्रा, बृजेश गोस्वामी, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला, प्रणव साहू, राकेश पाण्डे, विजय कोष्टी, अब्दुल्ला चिश्ती, आदित्य दीक्षित, विष्णु पाण्डे, मनोज पाटकर आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि मप्र स्थापना दिवस के पूर्व राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति पर शीघ्र निर्णय लिया जाये।