मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसानों के गेहूँ का एक-एक दाना खरीदा जाएगा। सभी जिलों में गेहूँ उपार्जन की सभी व्यवस्थाएँ अग्रिम रूप से सुनिश्चित की गई है। किसानों को कोई परेशानी न हो, इसके लिये व्यापक प्रबंध किये जाकर उपार्जन केंद्रों पर सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जायेंगी। समय पर किसानों की फसल का उपार्जन हो और उपार्जन के बाद भुगतान में विलंब न हो, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा।
सीएम चौहान ने कहा कि मेरे लिए एक-एक किसान महत्वपूर्ण है। किसी भी किसान का भुगतान रुकना नहीं चाहिए। उपार्जित फसल के तुरंत परिवहन की भी व्यवस्था की जाये। उन्होंने बताया कि प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन की सभी व्यवस्थाएँ प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इंदौर एवं उज्जैन संभाग में 22 मार्च से और शेष संभागों में 1 अप्रैल से गेहूँ उपार्जन का कार्य शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि गेहूँ उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन किया गया है। पंजीयन से कोई किसान चूके, नहीं इसके लिये पंजीयन की तिथि में दो बार वृद्धि भी की गई हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना काल में किसानों की सुविधा के लिये उपार्जन केन्द्रों की संख्या बढ़ाई गई थी। इस बार 4763 केंद्र पर उपार्जन की व्यवस्था की गई है। सभी उपार्जन केन्द्रों पर किसानों के लिये माकूल व्यवस्थाएँ भी की जा रही हैं।
सीएम चौहान ने किसानों से अपील की है कि वे निश्चिंत होकर अपना गेहूँ उपार्जन केन्द्रों पर लाए। सभी किसानों के गेहूँ का एक-एक दाना सरकार खरीदेगी। इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 125 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन का अनुमान है। अभी तक 24 लाख 58 हज़ार किसानों ने गेहूँ उपार्जन के लिए पंजीयन कराया है। इस बार गेहूँ का समर्थन मूल्य 1975 रुपए प्रति क्विंटल होगा। गत वर्ष यह 1925 रुपए प्रति क्विंटल था।
सीएम चौहान ने बताया कि चना, मसूर एवं सरसों का उपार्जन 22 मार्च से प्रारंभ किया जाएगा, जो 15 मई तक चलेगा। इस बार उपार्जन का कार्य मार्कफेड करेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि चने का समर्थन मूल्य 5100 रूपये, सरसों का समर्थन मूल्य 4650 रूपये और मसूर का समर्थन मूल्य 5100 रूपये प्रति क्विंटल है। चने का उपार्जन 14 लाख 51 हजार टन, मसूर का एक लाख 37 हजार टन और सरसों का 3 लाख 90 हजार टन अनुमानित है।
सीएम चौहान ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये हैं कि कोई भी किसान अपनी उपज को बेचने से वंचित न रहे और सभी किसानों को उनकी उपज का भुगतान समय पर हो। किसान को भुगतान न होना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे दोषी व्यक्तियों की संपत्ति कुर्क की जाकर उन्हें जेल भेजें।
उन्होंने कहा कि जिन सहकारी संस्थाओं की विश्वसनीयता संदिग्ध हो, उन्हें इस बार उपार्जन का कार्य न दिया जाये। साथ ही गत वर्ष की तरह इस बार भी स्व-सहायता समूहों तथा कृषि उत्पादक समूहों को उपार्जन कार्य दिया जाएगा। गत वर्ष 39 उपार्जन केंद्रों पर स्व-सहायता समूहों एवं कृषि उत्पादक समूहों द्वारा 9 लाख 78 हज़ार 526 क्विंटल गेहूँ उपार्जित किया गया, जो कुल उत्पादन का 3 प्रतिशत था।