मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा, शिक्षा विभाग, पंचायत विभाग आदि विभाग में संविदा कल्चर अपनाते हुए विगत 12 से 15 वर्षो में नियमित पदों के विरूद्ध संविदा कर्मचारियों को रखा जा रहा है, किन्तु नियमित कर्मचारियों के वेतन का 90 प्रतिशत वेतन दिये जाने के उल्लेख के बावजूद भी उन्हें न्यूनतम वेतन दिया जा रहा है। जिससे उन्हें प्रतिमाह आर्थिक नुकसान उठाना पड रहा है, उक्त विभागों में विशेष रूप से स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मियों द्वारा कोरोनाकाल में जान जोखिम में डाल कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए पीड़ित मानवता की सेवा की गई है, किन्तु सरकार की अनदेखी के कारण संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि सरकार द्वारा नई परिपाटी का सृजन कर ऑउटसोर्स से कार्य कराने के लिए पढ़े-लिखे बेरोजगारों का दोहन कर ठेकादोरों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। शासन के सौतले व्यवहार से संविदा कर्मियों एवं उनके परिवार में रोष व्याप्त है।
संघ के संघ के संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, मनोज सेन, बृजेश मिश्रा, आशुतोष तिवारी, दुर्गेश पाण्डे, डॉ संदीप नेमा, सुदेश श्रीवास्तव, सुरेन्द्र जैन, राकेश सेंगर, राकेश राव, श्यामनाराण तिवारी, विष्णु पाण्डे, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, संतोष तिवारी, महेश कोरी, सुदेश पाण्डे, मनीष शुक्ला आदि ने मध्य प्रदेश से मांग की है कि संविदा कल्चर समाप्त करते हुए प्रदेश के समस्त विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों को नियमित किया जाये।