मध्यप्रदेश शासन की ठेकेदारी प्रथा के कारण आज सरकारी कर्मचारी बिना काम के तनख्वाह ले रहे हैं, वही ठेका कर्मचारी शासकीय कार्य कर रहे हैं। मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर के संरक्षक योगेंद्र दुबे एवं जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया कि ठेकेदार के इन कर्मचारियों को बिना किसी योग्यता और बिना प्रतियोगिता के जवाबदारी वाले अति गोपनीय कार्य दिए गए हैं।
वहीं कार्यभारित स्थापना के हजारों कर्मचारियों को न ही वाहन दिए गए है और न ही कार्यालयीन कार्य कराने के आदेश दिए गए हैं, हजारों वाहन चालक, वाहन हेल्पर बिना सरकारी वाहन चलाए ही तनख्वाह ले रहे हैं। इन योग्य कर्मचारियों को शासकीय कार्यालयों में पदस्थ कर कार्य कराया जाना चाहिए, जिससे इन कर्मचारियों को किए जा रहे भुगतान के अनुसार कार्य लिया जा सके। इससे शासन को आर्थिक हानि नहीं होगी, इन कर्मचारियों को मूल कार्य नहीं दिए जा रहे हैं। वहीं कर्मचारियों की कमी बता कर उनके स्थान पर अन्य ठेकेदार के कर्मचारियों से कार्य कराया जा रहा है, जहां शासन को अतिरिक्त धन राशि का भार वहन करना पड़ रहा है।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर के संरक्षक योगेंद्र दुबे, जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, नरेश शुक्ला, संतोष मिश्रा, विश्वदीप पटेरिया, प्रशांत सोंधिया, योगेश चौधरी, संजय गुजराल, रविकांत दहायत, मुकेश मरकाम, मुकेश चतुर्वेदी, देव दोनेरिया, प्रदीप पटेल, धीरेंद्र सिंह, एसके बांदिल, योगेंद्र मिश्रा, रजनीश पाण्डे, अजय दुबे, नरेंद्र सैन, सुरेंद्र जैन, संदीप नेमा, सतीश उपाध्याय, विनय नामदेव, दुर्गेश पाण्डे, बृजेश मिश्रा, गोविन्द विल्थरे, एसपी बाथरे, वीरेन्द्र चन्देल ने कार्यभारित कर्मचारियों को कार्यालय में पदस्थ करने की मांग की है। इससे शासन को भी आर्थिक लाभ होगा। वहीं योग्य कार्यभारित स्थापना के कर्मचारियों को कार्यालयों में कार्य करने का अवसर प्राप्त होगा।