मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि प्रदेश के संगणकों के वेतन निर्धारण में भारी विंगति है। जहां संगणकों का वेतनमान पांचवें वेतनमान में सहा. ग्रेड-2 के बराबर था, परंतु छटवें वेतनमान में शासन के गलत वेतन निर्धारण के कारण सहा. ग्रेड-2 और संगणक के वेतनमान निर्धारण में विसंगति उत्पन्न हो गई।
संगणक का वेतनमान (6वें वेतनमान) 2100 एवं उच्च श्रेणी लिपिक (सहायक ग्रेड-2) का वेतनमान (6वें वेतनमान) 2400 कर दिया गया, जो विसंगति आज तक चली आ रही है, जिससे संगणकों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। संगणकों को लगभग प्रतिमाह 4000 रुपए प्रति माह वेतन में आर्थिक नुकसान हो रहा है। संगणकों ने यह भी मांग कि है कि इनका नाम परिवर्तित कर लेखा सहायक किया जाये। इस विसंगति से प्रदेश के संगणकों में भारी आकोष व्याप्त है।
संघ के अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, नरेन्द्र दुबे, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, दुर्गेश पाण्डेय, आशुतोष तिवारी, अमित पटेल, मनोज सिंह, वीरेन्द्र चंदेल, एसपी बाथरे, संदीप नामदेव, सीएन शुक्ला, चूरामन गूजर, संदीप चौबे, तुषरेन्द्र सिंह, नीरज कौरव, निशांक तिवारी, नवीन यादव, अशोक मेहरा, राकेश वर्मा, सतीश देशमुख, रमेश काम्बले, पंकज प्रीतोष तारे, शेरसिंह, मनोज सिंह, अभिशेक वर्मा, वीरेन्द्र पटेल, रामकृष्ण तिवारी, रितुराज गुप्ता, अमित गौतम, अनिल दुबे, शैलेन्द्र दुबे, श्यामनारायण तिवारी, मनीष शुक्ला, मनीष लोहिया, संतोष तिवारी, मो. तारिक आदि ने मुख्यमंत्री को ईमेल कर मांग की है कि संगणक पद का वेतनमान उच्च श्रेणी लिपिक (सहायक ग्रेड-2) के समान कर वेतन विसंगति दूर करें।