ठेकेदारों के द्वारा किए जा रहे शोषण के बावजूद बिजली कंपनी से पूरी वफादारी निभा रहे आउटसोर्स कर्मियों को इसके बदले सिर्फ उपेक्षा और बदहाली ही मिल रही है। अगर इसके साथ और कुछ मिल रहा है तो वो है जीवन भर की विकलांगता। बिजली कंपनी से वफादारी निभाकर अपने अंग गंवाने वाले इन आउटसोर्स कर्मियों के समक्ष अब जीवनयापन का संकट खड़ा हो गया है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि अधीक्षण अभियंता ग्रामीण के अंतर्गत जबलपुर डिविजन के अंतर्गत सिलुआ डीसी के सोहर गांव में उपभोक्ता का मकान बन रहा था। उसकी बिजली को चालू करने के लिए पोल पर चढ़कर 5 अप्रैल को आउटसोर्स कर्मी विजयपाल कार्य कर रहा था कि अचानक बिजली चालू होने से विजयपाल करंट की चपेट में आ गया, जिस वजह से उसके दोनों हाथ-पैर जल गए थे। उसे तत्काल सहयोगियों के द्वारा मेडिकल अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। आउटसोर्स कर्मी के बाएं हाथ का पंजा बुरी तरह जलने पर मेडिकल अस्पताल के डॉक्टरों ने काट दिया।
इस घटना पर तकनीकी कर्मचारी संघ ने आक्रोश जताते हुए कहा है कि एक कर्मचारी को 25 गांव की विद्युत व्यवस्था को संभालने का पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन के द्वारा दिया गया है। एक कर्मचारी को अनेक काम दिए गए हैं। जैसे उपभोक्ता की बंद बिजली को चालू करना, राजस्व वसूली करना, एलटी लाइन-एचटी लाइन का मेंटेनेंस करना, तार टूट जाए तो उसे जोड़ना, नए कनेक्शन देकर मीटर लगाना, डीसी मीटर लगाना, इस प्रकार से अनेक कार्यों का भार एक ही कर्मचारी पर डाल दिया गया है।
पूर्व क्षेत्र कंपनी के पास विद्युत तंत्र को चलायमान रखने के लिए मैन पावर की अत्यधिक कमी है। कंपनी प्रबंधन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। वर्ष 2000 से नियमित कर्मचारियों की भर्ती नहीं की गई है। अगर कर्मचारियों की भर्ती करते रहते तो शायद करंट लगकर हर दिन आउटसोर्स, नियमित और संविदा कर्मी काल के गाल में ना समाते। नियमित कर्मी को वर्ष 1988 से प्रमोशन नहीं दिए गए हैं, उसकी वजह से सहायक लाइनमैन एवं लाइनमैन की अत्यधिक कमी हो गई है। नियमित हेल्पर, संविदा कर्मी और आउटसोर्स कर्मी को करंट का कार्य करने का अधिकार नहीं है।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, जेके कोस्टा, रामशंकर, ख्यालीराम, टी डेबिट, लखन राजपूत, राजेश यादव, हीरेंद्र रोहिताश, अरुण मालवीय, इंद्रपाल, सुरेंद्र मिश्रा, आजाद सकवार आदि ने पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से मांग की गई है कि वर्तमान में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन किया जाए। संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए एवं नियमित कर्मचारियों का प्रमोशन किया जाए।