मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया राज्य शासन द्वारा राज्य के कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 तथा अध्यापक संवर्ग को 1 जुलाई 2018 से सातवां वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है। किन्तु राज्य शासन द्वारा उन्हें छटवें वेतनमान के अनुसार ही पुरानी दरों से ही मकान भाड़ा भत्ता, वाहन भत्ता, विकलांग भत्ता, आदिवासी क्षेत्र भत्ता एवं यात्रा भत्ता दिया जा हैं।
कर्मचारियों को ऐसा मानना है कि सातवें वेतनमान के अनुरूप भत्तों में बढ़ोतरी न होने से सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है। शासन द्वारा राज्य कर्मचारियों के साथ सातवें वेतनमान के अनुसार भत्ते देने में सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। शासन के दोहरे मापदण्ड से राज्य कर्मचारियों में भारी निराशा एवं आक्रोश व्याप्त है।
संघ योगेन्द्र दुबे, संजय यादव, विनोद पोद्दार, आलोकअग्निहोत्री, मिर्जा मंसूर बेग, यूएस करौसिया, राजेश गुर्जर, बृजेश ठाकुर, अमित नामदेव, विवेक भट्ट, आशीष सक्सेना, सुधीर खरे, एआई मंसूरी, तपन मोदी, नितिन श्रृंगी, राकेश सुनमोरिया, धीरज कुरील, सुरेन्द्र श्रीवास्तव, राजेन्द्र श्रीवास्तव, धनसिंह झारिया, मिलंद बरकडे, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला, नितिन शर्मा, श्यामनारायण तिवारी, संतोष तिवारी, प्रियांशु शुक्ला, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी आदि ने मुख्यमंत्री से ईमेल कर मांग की है कि राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के अनुसार ही भत्ते दिये जाएं।