एमपी: होमगार्ड कर्मचारियों को वेतन-पेंशन न देना मानव अधिकारों का खुला उल्लंघन

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर जिला अध्यक्ष अटल उपाध्याय ने पुलिस कर्मचारियों के समान कार्य करने वाले होमगार्ड कर्मचारियों को वेतन के स्थान पर मजदूरों की तरह मानदेय देने को पूर्णतः गलत बताया है। 33 से 35 वर्ष की सेवा देने के पश्चात भी इन्हें सरकारी कर्मचारी ना माना जाना मानव के अधिकारों का खुला उल्लंघन है।

मोर्चा के संरक्षक योगेंद दुबे ने बताया है कि समान कार्य का समान वेतन देने के स्पस्ट निर्देश है, लेकिन कानून और नियम पर चलने वाला होमगार्ड विभाग अपने कर्मचारियों का शोषण कर रहा है, एक वर्ष के कार्य मे एक माह किट जमा करवा कर सेवा ब्रेक कर दी जाती है, मजदूरों की तरह कार्य लेने वाले डियूटी लगाने में भी उगाही करते है। पैसे ना देने पर अफसरों के बंगलो में बेगार करवाई जाती है, चौकीदारी, ड्राइवरी या कार्यालय की सफाई करवायी जाती है। 

देश के प्रथम नागरिक से लेकर खुंखार अपराधियों, असामाजिक तत्त्वों की धरपकड़ करने के साथ ही मध्यप्रदेश पुलिस कर्मचारियों के साथ सेवा देने वालों को 33 वर्ष की नौकरी करने के बाद रिटायरमेन्ट होने पर पेंशन भी ना दिया जाना गलत है। होमगार्ड कर्मचारियों के निधन के पश्चात उनके परिजनों को बीमा की राशि या परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति नहीं दी जाती है।

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, संतोष मिश्रा, नरेश शुक्ला, विश्वदीप पटेरिया, मुकेश चतुर्वेदी, संजय गुजराल, धीरेन्द्र सिंह, मुकेश मरकाम, प्रसांत सोंधिया, रविकांत दहायत, देव दोनेरिया, एसके बांदिल, प्रदीप पटेल, अजय दुबे, योगेंद्र मिश्रा, दुर्गेश पांडेय, डीके नेमा, नितिन अग्रवाल, राकेश उपाध्याय, नरेंद्र सेन ने होमगार्ड के समस्त सिपाहियों को पुलिस कर्मचारियों के समान वेतन, पेंशन, उपादान, बीमा की राशि और निधन पर परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति देने की मांग की है।