मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा नित नये प्रयोगों से कोई भी, विषयवार पद संरचना, आज तक निश्चित नहीं कर पाया है। माध्यमिक शालाओं की पद संरचना अनुसार विज्ञान विषय के पद को 5वां एवं हिन्दी विषय को 6वां पद माना जा रहा है, जबकि भर्ती के समय विज्ञान/गणित विषय में किसी एक पद को ही पहला पद माना गया था तथा हिन्ही विषय को तीसरा पद माना जाना था, इसी प्रकार युक्तियुक्तकरण के तहत विद्यालय में कौन शिक्षक अतिशेष होगा। ये हाई कोर्ट के द्वारा शासन को दिये गये निर्देश से स्पष्ट होता है कि अंत में शाला में आने वाला शिक्षक ही पहले अतिशेष होगा न कि पूर्व से कार्यरत शिक्षक अतिशेष कहलाएगा।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि हाई कोर्ट के द्वारा दिये गये निर्देशों की अवहेलना करते हुए शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय में पदस्थ सबसे वरिष्ठ शिक्षक को ही अतिशेष माना जा रहा है, जो हाई कोर्ट के निर्देशों के विपरीत है। विभाग में बैठे आला अधिकारियों द्वारा अतिशेष पर असमंजस की स्थिति बनाए जाने के कारण ऐन परीक्षा के पहले शिक्षक पढ़ाई छोड़कर अतिशेष से बचने की जुगत में लग गये हैं। शिक्षा विभाग की इस अंधेरगर्दी, तानाशाही के चलते शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, मनोज सेन, दुर्गेश पाण्डे, बृजेश मिश्रा, नीरज मिश्रा, वीरेन्द्र चन्देल, एसपी वाथरे, चूरामन गुर्जर, वीरेन्द्र तिवारी, धनश्याम पटैल, रमेश उपाध्याय, प्रशांत श्रीवास्तव, साहिल सिद्दीकी, गोविन्द विलथेर, रजनीश तिवारी, डीडी गुप्ता आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं स्कूल शिक्षा मंत्री को ईमेल भेजकर मांग की है कि अतिशेष प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट द्वारा दी गई युक्तियुक्तकरण की परिभाषा अनुसार ही अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन हो।