मध्य प्रदेश के विद्युत कंपनियों जारी ठेका प्रथा के चलते आउटसोर्स कर्मियों का जमकर शोषण किया जा रहा है। बिना अवकाश सातों दिन कार्य कार्य कर रहे आउटसोर्स कर्मियों को वेतन के भी लाले पड़े हुए है। वहीं ताज्जुब की है कि आउटसोर्स कर्मियों की मजबूरी का फायदा उठाते असंवेदनशील ठेकेदारों के इस पापकर्म में विद्युत कंपनियों का प्रबंधन भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी बना हुआ है।
जानकारी के अनुसार पावर मैनेजनेंट कंपनी, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, पावर ट्रांसमिशन कंपनी के मुख्यालय नाक के नीचे जबलपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में कार्य कर रही ठेका कंपनियां अपने कर्मियों का जमकर शोषण कर रही है। बिना अवकाश कार्य करने के बाद भी दो से तीन महीने में एक बार ही वेतन दिया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत जबलपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत ठेका कंपनी क्रिस्टल द्वारा अपने कर्मचारियों को अक्सर वेतन के लिए तरसाया जाता है। वहीं पावर ट्रांसमिशन कंपनी के टीकमगढ़ के दिगोरा में स्थित 132 केवी सब-स्टेशन की सुरक्षा का ठेका लेने वाली कंपनी ईगल हंटर अपने सुरक्षा कर्मियों को तीन महीने में सिर्फ एक बार ही वेतन दे रही है। जब भी कर्मी वेतन मांगते हैं, उनसे अभद्रता कर नौकरी छोड़ने के लिए कह दिया जाता है।
मप्रविमं तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि विद्युत कंपनियों से ठेका प्रथा बंद कर आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन यथाशीघ्र किया जाना चाहिए। ठेका कंपनियां आउटसोर्स कर्मियों का अमानवीय तरीके से शोषण कर रही हैं, वहीं उनसे फील्ड पर भी नियम विरुद्ध कार्य भी कराए जा रहे है, जिससे उनकी असमय मौत भी हो रही है।