केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पाँच वर्ष की अवधि में पूरे देश के लिए 3 लाख 3 हजार 758 करोड़ रुपये की लागत की सुधार आधारित और परिणाम से जुड़ी पुनरूत्थान वितरण क्षेत्र योजना को मंजूरी दी है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया है कि योजना का उद्देश्य वित्तीय स्थिरता और परिचालन क्षमता में सुधार कर कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य को और बेहतर बनाना है।
योजना में मध्यप्रदेश के लिए 28 हजार 94 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। इनमें प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग एवं सिस्टम मॉनिटरिंग के लिए 14 हजार 886 करोड़ रूपये और वितरण अधो-संरचना का उन्नयन, जिनमें वितरण हानियों को कम करने एवं वितरण प्रणाली सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण कार्य सम्मिलित है, के लिए 13 हजार 208 करोड़ रुपये का प्रावधान है। प्रावधानित राशि 28 हजार 94 करोड़ रूपये में से भारत सरकार द्वारा 9 हजार 318 करोड़ का अनुदान प्राप्त होगा। राज्य शासन अंशपूँजी के रूप में 5 हजार 283 करोड़ देगी।
यह सुधार आधारित और परिणाम से जुड़ी योजना है। इस योजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र के डिस्कॉम को छोड़कर सभी डिस्कॉम व पॉवर विभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है। इस योजना में आपूर्ति के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और इसके लिए डिस्कॉम को सशर्त वित्तीय सहायता के प्रावधान की परिकल्पना की गई है। यह वित्तीय सहायता पूर्व-अर्हता मानदंडों को पूरा करने और बुनियादी न्यूनतम बेंचमार्क की उपलब्धि पर आधारित होगी।
योजना का कार्यान्वयन ‘वन साईज फिट्स ऑल’ दृष्टिकोण के बजाय प्रत्येक राज्य के लिए तैयार की गई कार्य-योजना पर आधारित होगा। योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण निगम और विद्युत वित्त निगम को नोडल एजेंसी बनाया गया है।