मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड कर रहा परीक्षा के नाम पर छात्रों से तिगुनी फीस वसूलने की तैयारी

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड भोपाल द्वारा एक तुगलगी आदेश जारी किया गया है जिसमे 9वीं-11वीं को तिमाही परीक्षा आयोजित किये जाने के नाम पर परीक्षा शुल्क राशि 100 रुपए प्रति छात्र के लिये जावेंगे।

छात्रों से ली गई 100 रुपए की राशि के बंटवारे में मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड 65 रुपए, संभागीय संयुक्त संचालक 5 रुपए, जिला शिक्षा अधिकारी 10 रुपए एवं संबंधित स्कूल द्वारा 20 रुपए की राशि रखी जावेगी। जबकि इसके पूर्व छात्रों से 100 रुपए की राशि वार्षिक परीक्षा मे ही ली जाती थी, जिसमें से आधे से अधिक छात्र परीक्षा शुल्क नहीं दे पाते थे, उनकी फीस शाला के प्राचार्यों अथवा शिक्षक द्वारा जमा की जाती रही है। 

प्रदेश के छात्रों को पहले जहां वर्ष भर में 100 रुपए का शुल्क लगता था, वहीं अब मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड के तुगलगी आदेश के बाद उनसे तिमाही-छमाही-वार्षिक परीक्षा के नाम पर 300 रुपए वसूलने की तैयार कर ली गई है, जबकि बोर्ड चाहे तो वर्ष में प्रति छात्र के मान से 100 रुपए में ही तीनों परीक्षायें सम्पन्न कराई जा सकती हैं।

बोर्ड द्वारा अगर शुल्क लेना ही है तो समग्र शिक्षा अभियान के तहत शालाओं को मिलने वाले आवंटन से परीक्षा शुल्क की व्यवस्था की जा सकती है । जिससे गरीब छात्रों पर अतिरिक्त बोझ भी नही आयेगा। संचालक, मप्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड भोपाल द्वारा जारी आदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के नाम पर परीक्षा फीस के लिये गरीब छात्रों पर अतिरिक्त बोझ डालना न्यायोचित नहीं है।

संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डे, ब्रजेश मिश्रा, गोविन्द्र बिल्थरे, डीडी गुप्ता, रजनीश तिवारी, आरके परोहा, राकेश राव, सतेन्द्र ठाकुर, एसपी बाथरे, वीरेन्द्र चंदेल, मनोज सिंह, मुकेश मिश्रा, पुष्पेन्द्र सेंगर, राजेश चतुर्वेदी, मनोज खन्ना, विवेक तिवारी, जितेन्द्र त्रिपाठी, आकाश तिवारी, चुरामन गुर्जर आदि ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा से मांग की है कि 9वीं-11वीं की तिमाही परीक्षा शुल्क की राशि समग्र शिक्षा अभियान के माध्यम से जमा को जाये या 100 रुपए प्रति छात्र वार्षिक के मान से ही तीनों परीक्षायें आयोजित कराई जावे, ताकि गरीब छात्रों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।