मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (ट्रांस्को) ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान देने की दृष्टि से तीन अनूठे मॉडलों का निर्माण किया है। पूरे देश में यह अपनी तरह का पहला मॉडल है, जिन्हें सब स्टेशन में ही पुराने व खराब उपकरणों की सहायता से स्थापित किया गया है।
जबलपुर के 220 केवी नयागांव सब स्टेशन में स्थापित किए गए मॉडल की परिकल्पना ट्रांस्को के प्रबंध संचालक सुनील तिवारी ने की और इसे साकार मुख्य अभियंता (टेस्टिंग एन्ड कम्युनिकेशन) राजेश श्रीवास्तव कर दिखाया।
राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि इन मॉडलों की सहायता से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के विद्यार्थी अति उच्चदाब सब स्टेशन के ट्रांसफार्मर फीडर में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों के संबंध में बेहतर ढंग से समझ सकेंगे। यह मॉडल भविष्य के इंजीनियरों के साथ-साथ कंपनी के इंजीनियरों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होंगे।
सामान्यत: इंजीनियरिंग व पॉलिटेक्निक कॉलेजों या आईटीआई संस्थानों में बिजली से संबंधित अति उच्चदाब सब स्टेशनों में लगने वाले उपकरणों के संबंध में विस्तार से पढ़ाया तो जाता है, लेकिन भौतिक रूप से न देख पाने के कारण विद्यार्थियों में उत्सुकता शेष रह जाती है। इसी तरह कंपनी में कार्यरत इंजीनियरों भी ट्रांसफार्मर आदि उपकरणों की सम्पूर्ण संरचना न देख पाने के कारण सुधार आदि कार्य में समस्या महसूस करते हैं।
पावर ग्रिड के ट्रेनिंग सेंटर या अन्य प्रशिक्षण केन्द्रों में उपकरणों के अलग-अलग पार्टस को दिखा कर प्रशिक्षण दिया जाता है, परन्तु एक वास्तविक ट्रांसफार्मर की अंदरूनी संरचना के भीतर प्रत्येक हिस्से का नाम के साथ दर्शाने वाला यह मॉडल विद्यार्थियों और नए इंजीनियरों के लिए बेहद प्रभावशाली सिद्ध होगा।
ट्रांसफार्मर मॉडल के साथ सर्किट ब्रेकर, करेंट ट्रांसफार्मर, पोटेशिंयल ट्रांसफार्मर व आकाशीय बिजली से सब सटेशन को बचाने वाले लाइटनिंग अरेस्टर की अंदरूनी संरचना को वास्तविक लेकिन पुराने उपकरणों में ही पारदर्शी शीट के सहारे दिखाने का प्रयास किया गया है।
इन मॉडलों में खास बात यह है कि सभी उपकरण उपयोग वाले वास्तविक हैं, जिससे विद्यार्थियों व नए इंजीनियरों को समझने में बेहद आसानी होगी। उल्लेखनीय है कि अंसेम्बिल ट्रांसफार्मर सिर्फ फैक्टरी में ही देखे जा सकते हैं। मॉडल के निर्माण में ट्रांस्को के अधीक्षण अभियंता अजय श्रीवास्तव, कार्यपालन अभियंता एसवी बझे और सहायक अभियंता संतोष कुमार दुबे का योगदान रहा।