मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर के प्रांतीय संयोजक व्हीकेएस परिहार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि मध्यप्रदेश की विद्युत कंपनियों में जहां एक ओर विद्युत उपभोक्ताओं एवं अधोसंरचना में निरंतर वृद्धि हो रही है वहीं दूसरी ओर सभी वर्गों में नियमित एवं अनुभवी कर्मचारियों की भारी कमी है, जिससे प्रदेश की विदयुत वितरण व्यवस्था, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत सोचनीय स्थिति को प्राप्त हो रही है, जिससे उपलब्ध कार्यरत कर्मचारियों को उपभोक्ताओं के आक्रोश का सामना करना पड़ता है।
इस संबंध में यूनाईटेड फोरम लगातार पिछले 5-6 वर्षों से बढ़े हुए उपभोक्ता एवं अधोसंरचना के अनुसार संगठनात्मक संरचना को पुरीक्षित कर नियमित भर्ती की मांग करता रहा है। लेकिन शासन प्रबंधन की अरुचि एवं व्यवस्था में सुधार की दृढ़ इच्छा शक्ति न होने के कारण आज तक विद्युत वितरण कंपनियों के संगठनात्मक संरचना को अंतिम रूप न दिया जाना शासन एवं प्रबंधन की दिशाहीनता एवं लापरवाही को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि विद्युत वितरण कंपनियों का प्रबंधन विशेष रूप से पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कई प्रकार के कार्यों को एक ही समय में संपन्न करने हेतु भयावह मानसिक दवाव बनाया जा रहा है एवं लक्ष्य की पूर्ति न होने की स्थिति में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की साप्ताहिक व मासिक समीक्षा बैठकों में असंसदीय व अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए, अनावश्यक कारण बताओ नोटिस एवं नियम विरुद्ध वेतन कटौती संबंधी नोटिस दिये जा रहे हैं, जो कि अविवेक पूर्ण एवं तानाशाहीपूर्ण रवैया दर्शाता है।
इस प्रकार की कार्यवाहियों से सभी अधिकारी एवं कर्मचारी आक्रोशित एवं कुंठाग्रस्त हो रहे हैं एवं तुरंत इस प्रकार की अवैधानिक विरुद्ध कार्यवाहियों पर अंकुश नहीं लगाया जाता है तो समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी एक जुट होकर कड़े निर्णय लेने को बाध्य होगें। इस संबंध में यूनाइटेड फोरम आपको सुझाव देना चाहता है कि गुजरात राज्य की विद्युत कंपनी देश की सर्वश्रेष्ठ विदयुत वितरण कंपनियों में से एक है जो कि निरंतर आर्थिक रूप से लाभ में चल रही है। गुजरात राज्य में विद्युत अधोसंरचना अनुसार सभी नियमित कर्मचारी ही कार्य कर रहे हैं तथा वहां संविदा अथवा बाह्य स्त्रोत कर्मचारियों को विद्युत क्षेत्र में नहीं लगाया गया है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात राज्य के विद्युत क्षेत्र की संकल्पना के अध्ययन हेतु मप्र की कंपनियों के अधिकारियों की एक समिति गठित की गई थी, जिसके द्वारा एक अध्ययन रिपोर्ट भी शासन व प्रबंधन की सोपी गई है लेकिन शासन व प्रबंधन की अरुचि के कारण उस रिपोर्ट पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि उस रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश की विद्युत कंपनियों में भी कार्यवाही कर विदयुत व्यवस्था एवं राजस्व संग्रहण में सुधार हेतु कार्य योजना बनाई जाये। इस हेतु विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंध संचालकों की समिति को भी गुजरात राज्य की वितरण कंपनियों की कार्य पद्धति के अध्ययन हेतु भेजा जाना उचित होगा, जिससे वहां की संपूर्ण व्यवस्था को मप्र की विद्युत कंपनियों में सुगमता से लागू कराया जा सके।
यूनाईटेड फोरम के संज्ञान में यह भी आया है कि वर्तमान में एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा प्रस्तावित विद्युत वितरण कंपनियों के संगठनात्मक संरचना में कई महत्वपूर्ण पदों को संविदा में परिवर्तित करने का अदूरदर्शितापूर्ण प्रस्ताव किया जा रहा है, जिसका फोरम सख्त विरोध करता है। साथ ही प्रदेश में विदयुत क्षेत्र में संविदा एवं बाह्य स्त्रोत नियुक्तियों को संपूर्ण रूप से समाप्त करते हुए प्रदेश की विदयुत कंपनियों में भी गुजरात राज्य के मॉडल को लागू किया जाये, जिससे मप्र में न केवल राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी, बल्कि इससे प्रदेश की विद्युत व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार भी परिलक्षित होगा।
इससे मप्र में कार्यरत संविदा एवं आऊटसोर्स कर्मचारियों को नियमित कर उन्हें बेहतर सेवा शर्तें एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का रास्ता भी साफ होगा। कंपनी प्रबंधन द्वारा यूनाईटेड फोरम के सुझावों पर कोई ध्यान न देकर विद्युत कंपनियों की स्थिति को लगातार कमजोर किया गया है। प्रदेश के विद्युत क्षेत्र के समग्र हित में यूनाइटेड फोरम मुख्यमंत्री जी से सार्थक हस्तक्षेप करने की मांग करता है, जिससे अधिकारी एवं कर्मचारियों के ऊपर पड़ रहे अत्यधिक कार्य दबाव को कम कर उपभोक्ताओं को भी बेहतर सेवा प्रदान की जा सके।