मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल अभियंता संघ के महासचिव इंजी. विकास कुमार शुक्ला ने प्रदेश के ऊर्जा विभाग को पत्र लिखकर माँग की है कि विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारी अपनी सेवायें निर्बाध रूप से प्रदान कर रहे हैं, जिसका परिणाम है कि मध्य प्रदेश विद्युत क्षेत्र में नित्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
प्रदेश की बढती विद्युत मांग के दृष्टिगत प्रदेशवासियों को सतत गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति हेतु विद्युत व्यवस्था का विस्तार भी हुआ है, जिसके अंतर्गत बहुत से नए कार्यालयों, ताप एवं जल विद्युत ग्रहों, वितरण केन्द्रों व नवीन उच्च दाब उपकेन्द्रों का भी सृजन हुआ हैं। किन्तु यहाँ यह उल्लेखित करना आवश्यक है कि जहाँ एक ओर नए कार्यालय खोले जा रहे हैं, वहीं उसी अनुपात में आवास निर्माण नहीं किये जा रहे हैं एवं पूर्व में विकसित कॉलोनियों में मरम्मत कार्य न के बराबर हैं, उनकी हालत रहने योग्य कतई नहीं बची हैं।
सारणी, चचाई, बिरसिंघपुर, जबलपुर, इंदौर, गोविंदपुरा कालोनी भोपाल, बिरसिंघपुर की कोलॉनी जहाँ बहुतायत में कर्मी रहते हैं, मकान जर्जर स्थिति में हैं। ऐसे आवासीय परिसरों में किसी दिन अप्रिय घटना घटने की संभावना को नाकारा नहीं जा सकता। यहाँ तक की प्रदेश सरकार भी ऐसे आवासों की बची अवधि का आंकलन कराकर, यदि वे रहने योग्य मापदंडों पर खरे नहीं उतरते तो उन्हें ध्वस्त कर नए निर्माण कराने की सलाह देती है।
वहीं जबलपुर जहां विद्युत कंपनियों का मुख्यालय हैं वहां भी आवास परिसर की स्थिति ठीक नहीं हैं, चूँकि कई दशकों से कालोनी में कर्मियों के लिए कोई भी नए भवन का निर्माण नहीं किया गया हैं एवं न ही गृह भाड़ा भत्ते में सातवें वेतन आयोग के अनुसार वृद्धि की गई है। जिससे कर्मी अपने व अपने परिवार की सुरक्षा हेतु, वर्तमान गृह भाड़ा भत्ते से तीन से चार गुना दर पर दूरस्थ स्थानों में किराये से रहने को मजबूर हैं।
इसके अतिरिक्त, पूर्व में निर्मित कालोनियों में भी जिन आवासों में कार्मिक रह रहे हैं, वह भी अपनी निर्धारित आयु पूर्ण कर चुके हैं अथवा ज़्यादातर आवासों के जीर्ण-हीन हालत होने के कारण आए दिन छत का प्लास्टर गिरना, छज्जे का प्लास्टर गिरना, कमरों के ऊपर का प्लास्टर गिरना व वायरिंग का शॉर्ट-सर्किट होना जैसी की खबरें आती रहती हैं, जिससे सदैव जान-माल की हानि का खतरा बना रहता हैं।
अभियता संघ ने मांग कि है कि सभी बिजली कंपनियों में कार्यरत कार्मिकों की आवासीय कालोनी से संबंधीत समस्या पर ध्यान देते हुए, आवासीय कालोनियों में जर्जर हो चुके मकानों का आकलन करवाकर, आवश्यक मरम्मत कार्य शीघ्र अतिशीघ्र आरंभ कराने एवं जहाँ आवास अपनी तय समयसीमा समाप्त कर चुके हैं, वहाँ नए आवासों का निर्माण कराने हेतु संबंधित विभागों को दिशा निर्देश जारी करें।