मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि विद्युत कर्मियों की तीन मांग को लेकर 29 सितंबर 2022 से लगातार मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री, श्रम मंत्री, सांसद, विधायक, विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती कंपनी के प्रबंधनों को लगभग 265 मांग पत्र देकर अवगत कराया गया था।
इसी तारतम्य में 5 जनवरी 2023 को तकनीकी कर्मचारी संघ को समर्थन देने वाले सहयोगी संगठन से प्रमुख ऊर्जा सचिव से वार्ता हुई थी, तकनीकी कर्मचारी संघ से नहीं हुई थी। जबकि तकनीकी कर्मचारी संघ के द्वारा नोटिस दिया गया था, किंतु सहयोगी संगठनों के द्वारा प्रमुख ऊर्जा सचिव से वार्ता कर पहले से निर्धारित 6 जनवरी का जेल भरो आंदोलन और 7 जनवरी से होने वाले अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन को 15 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था। वहीं 15 दिन बीतने के बाद भी प्रमुख ऊर्जा सचिव के द्वारा तीन मांगो को लेकर कोई भी कदम नहीं उठाए गए।
जिसके बाद तकनीकी कर्मचारी संघ एवं सहयोगी संगठनों के द्वारा आक्रोश जताते हुए 21 जनवरी से अनिश्चितकालीन आंदोलन करने के लिए निर्णय लिया गया है, जिसका आज दूसरा दिन है। वहीं संघ से वार्ता हेतु किसी भी प्रकार की सूचना अभी तक शासन की ओर से नहीं आई है। जबकि विद्युत कर्मी की अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं। हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसी जानकारी सामने आई है कि अन्य संघ के पदाधिकारी विद्युत कंपनी के अधिकारियों के साथ मिलकर नियमित, संविदा एवं आउटसोर्स की जबरदस्ती ड्यूटी लगाकर कार्य करवा रहे हैं, जबकि 16 घंटे से ज्यादा किसी से भी कार्य नहीं कराया जा सकता है। विद्युत कंपनी के अधिकारी मानव अधिकारों का हनन करते हुए श्रम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
संयुक्त संघ के शंभूनाथ सिंह, अरुण ठाकुर, राहुल मालवीय, शिव राजपूत, मोहन दुबे, अजय कश्यप, विनोद दास, अरुण मालवीय, सुरेंद्र मेश्राम, आजाद सकवार, पुरुषोत्तम पटेल, मुकेश पटेल, राकेश रमन रैकवार, लखन सिंह राजपूत, राजकुमार सैनी, इंद्रपाल सिंह, रविकांत विश्वकर्मा, शीतल चौधरी, प्रीतम सेन, अनुज पटेल आदि सैकड़ों बिजली कर्मी शक्ति भवन गेट के समक्ष जारी अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन में उपस्थित रहे।