मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में लाइनमैनों की कमी का खमियाजा उम्रदराज तकनीकी कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है। सेवानिवृत्ति की दहलीज पर बैठे इन लाइन कर्मियों को नियमानुसार पदोन्नति और क्रमोन्नति का लाभ नहीं मिलने और करंट का कार्य करने वाले नियमित लाइनमैनों की कमी के चलते तथा अधिकारियों के दबाव में इस उम्र में भी पोल पर चढ़ कर करंट का कार्य करने, भारी उपकरणों के रखरखाव जैसे जोखिम वाले कार्य कराए जा रहे हैं। बेवजह का दबाव और कार्य की अधिकता के कारण उम्रदराज कर्मचारी हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय रोग जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जबलपुर ग्रामीण सर्किल के अंतर्गत कार्यपालन अभियंता एलटीएम संभाग में पदस्थ लाइन परिचालक रमेश कुमार पाल उम्र 58 वर्ष को घर पर अचानक दोपहर 12 बजे सीने में अत्यधिक दर्द होने लगा। जिसके बाद परिवार के सदस्यों के द्वारा उसे तत्काल प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया गया। कर्मी की गंभीर स्थिति को देखते हुए रात लगभग 8 बजे हार्ट की एंजियो प्लास्टी की गई।
तकनीकी कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया है कि पूर्व क्षेत्र कंपनी में तकनीकी कर्मचारियों की अत्यधिक कमी होने की वजह से कार्य का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। ऑफिस में कार्य करने के लिए बाबू नहीं है और करंट का कार्य करने के लिए लाइनमैन नहीं है। कंपनी प्रबंधन द्वारा वर्ष 1988 से तकनीकी कर्मचारियों का प्रमोशन नहीं किया गया है। आज भी जमीनी अधिकारियों के द्वारा हेल्पर से करंट का कार्य कराया जा रहा है। संविदा कर्मचारियों से एवं आउटसोर्स कर्मचारियों से करंट का कार्य कराया जा रहा है। जिसकी वजह से आए दिन करंट लगकर दुर्घटनाएं हो रही है, जबकि विद्युत अधिनियम के अनुसार अधिकारियों को हेल्परों से करंट का कार्य करने का अधिकार नहीं है।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, राजकुमार सैनी, मोहन दुबे, अरुण मालवीय, जेके कोस्टा, अजय कश्यप, लखन राजपूत, आशुतोष गौतम, गिरीश कुमा कनौजिया, मोना बाई कलवार, प्रीति मरावी, इंद्रपाल सिंह, पुरुषोत्तम पटेल, शशि उपाध्याय, राजेश यादव, आजाद सकवार, सुरेंद्र मेश्राम, टी डेविड, हरि भजन, राजेश सोनी, पीके मिश्रा आदि ने पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से विद्युत लाइन कर्मी के इलाज के लिए सहायता राशि की मांग की है।