मध्य प्रदेश की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने जबलपुर के पाटन संभाग के अंतर्गत बेलखेड़ा डीसी के 33*11 KV मेरे गांव सब-स्टेशन में ऑपरेटर के पद पर पदस्थ आउटसोर्स कर्मी शिवराज यादव के ऊपर ड्यूटी के दौरान हाईटेंशन लाइन गिर गई थी, जिससे आउटसोर्स कर्मी बुरी तरह झुलस गया था, लगभग 7 महीने चले उपचार के दौरान कर्मी की मौत हो गई थी। वहीं इस घटना की जांच के लिए नियुक्त असंवेदनशील जांच अधिकारियों ने इसे दुर्घटना न मानते हुए इस घटना को आउटसोर्स कर्मी की गलती बताकर मुआवजा राशि से भी वंचित कर दिया, जबकि कर्मचारी के उपचार में लगभग 10 लाख रुपए का खर्च आया था, जो न बिजली कंपनी ने दिया और न ही ठेका कंपनी क्रिस्टल ने दिया।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि जबलपुर के पाटन संभाग के अंतर्गत बेलखेड़ा डीसी के 33*11 KV मेरे गांव सब-स्टेशन में ऑपरेटर के पद पर पदस्थ आउटसोर्स कर्मी शिवराज यादव 11 जनवरी 2022 को मध्य रात्रि 2:10 बजे 11 केवी सिंचाई फीडर चालू करने के लिए यार्ड में गए थे, तभी उक्त सिंचाई फीडर के ब्रेकर के वाय फेस के 11 केवी का जंपर टूट कर उनके कंधे में गिर गया, जिसकी वजह से वे 70% जल गए थे। घटना की सूचना मिलने पर सहयोगियों के द्वारा उन्हें मेडिकल अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन आराम ना लगने की वजह से उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया गया।
लेकिन उसके बाद भी आराम नहीं लगने की वजह से परिवार के द्वारा नागपुर कि हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया गया। वहां पर भी आराम ना लगने की वजह से बैतूल के हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। वहां भी आराम ना लगने की वजह से 17 मार्च 2022 को भोपाल के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती करने के लिए ले जा रहे थे, तभी रास्ते में ही आउटसोर्स कर्मी की मृत्यु हो गई।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि आउटसोर्स कर्मी के परिवार के द्वारा ब्याज से पैसा लेकर इलाज कराने में लगभग ₹10 लाख खर्च हो गए। ठेका कंपनी क्रिस्टल के द्वारा कर्मी को सहायता राशि नहीं दी गई। वहीं सबसे दुखद पहलू ये है कि कर्मी शिवराज यादव की मृत्यु होने के बाद अलग-अलग अधिकारियों ने जांच कर सम्पूर्ण रिपोर्ट 7 माह के बाद मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र कंपनी लिमिटेड के महाप्रबंधक मानव संसाधन एवं प्रशासन को दी गई। विद्युत निरीक्षक के द्वारा 6 अक्टूबर 2022 को सौंपी रिपोर्ट में बताया गया कि आउटसोर्स कर्मी शिवदयाल यादव की स्वयं की गलती होने की वजह से दुर्घटना हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि कर्मी ने सुरक्षा उपकरण का उपयोग नहीं किया था।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि तकनीकी कर्मचारी संघ विद्युत निरीक्षक से जानना चाहता है कि यार्ड के अंदर आउटसोर्स कर्मी के ऊपर कार्य के दौरान 11 KV का जंपर टूट कर गिर गया था, जिससे उसके पूरे शरीर में करंट की विद्युत धारा बहने लगी और कर्मी 70 प्रतिशत जल गया तो, सुरक्षा उपकरण की बात कहां से आ गई। वहीं ये सर्वविदित है कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में नियमित कर्मचारियों की बेहद कमी है और अधिकांश सब-स्टेशनों में एक ही कर्मी तैनात किए जा रहे हैं। इसलिए प्रबंधन और जमीनी अधिकारी दबाव बनाकर संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों से नियमविरुद्ध करंट का कार्य कराते हैं, जबकि उन्हें करंट का कार्य करने का अधिकार ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों से नियमविरुद्ध करंट का कार्य कराने पर अधिकारियों पर नियमानुसार कार्यवाही की जानी चाहिए। गौरतलब है कि हाल ही में जबलपुर के बरेला स्थित सब-स्टेशन में तैनात अकेले आउटसोर्स कर्मी का हाथ कार्य के दौरान टूट गया था।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि आउटसोर्स कर्मी की ड्यूटी के दौरान सब-स्टेशन के अंदर करंट लगने की वजह से मृत्यु हुई है, लेकिन गलत रिपोर्ट बनने से प्रदेश सरकार द्वारा घोषित करंट लगने से मृत्यु पर मिलने वाली ₹4 लाख की मुआवजा राशि कर्मी के परिजनों को नहीं मिलेगी। तकनीकी कर्मचारी संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, रमेश रजक, केएन लोखंडे, एसके शाक्य, जेके कोस्टा, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अरुण मालवीय, अजय कश्यप, आजाद सकवार, सुरेंद्र मेश्राम, जगदीश मेहरा, इंद्रपाल सिंह, शशि उपाध्याय, महेश पटेल आदि ने पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन एवं क्रिस्टल कंपनी से मानवीय आधार पर कर्मी के परिजनों को ₹4 लाख मुआवजा राशि देने की मांग की है।