राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल में मध्य प्रदेश खाद्य विभाग के 70 अधिकारियों ने तीन दिवसीय आवासीय आनंदम सहयोगी प्रशिक्षण लिया। समापन सत्र में राज्य आनंद संस्थान के सीईओ आशीष कुमार ने कहा कि जनता के बीच सीधे जाकर काम करने वाले अधिकारियों का तनाव मुक्त रहना जरूरी है।
आनंद विभाग के इस प्रशिक्षण से अधिकारियों-कर्मचारियों में अंतर्विरोध कम होगा, दूसरों से अच्छा व्यवहार करने में मदद मिलेगी, उनके खुद के जीवन में आये सकारात्मक बदलाव से समाज में परिवर्तन आएगा।
संयुक्त संचालक खाद्य की श्रीमती सुकृति सिंह ने कहा कि प्रदेश के खाद्य अधिकारियों कर्मचारियों का प्रशिक्षण जारी रहेगा। प्रत्येक माह कम से कम दो प्रशिक्षण सत्र जरूर आयोजित होते रहेंगे। यह प्रशिक्षण परस्पर मेलजोल की जगह चेतना को जागृत करने पर केंद्रित है। संस्थान के डायरेक्टर प्रवीण कुमार गंगराड़े और सत्य प्रकाश आर्य ने भी संबोधित किया।
सभी अधिकारियों ने इस प्रशिक्षण को बार-बार आयोजित करने तथा उनके परिवार के सदस्यों को भी शामिल करने का आह्वान किया। खाद्य अधिकारी लक्ष्मण प्रसाद लुहार ने कहा कि मेरे अंदर की उथल-पुथल कम हुई है। अल्पविराम ने अर्थ से फर्श का सफर सेकेंडो में पूरा कर दिया। सुश्री मधुलिका ने कहा कि यहां आकर सब कुछ रिलाइज हुआ है प्रशिक्षण में न आती तो बहुत कुछ खो देती।
छतरपुर के कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी जितेंद्र वर्मा ने कहा कि यह प्रशिक्षण नहीं ट्रीटमेंट है और इसकी खास बात यह है कि यह आपको ठीक करने के बाद आपको डॉक्टर भी बना देता है। यहाँ आकर खुद के अंदर झांक पा रहा हूं। मेरे व्यवहार का दूसरों पर क्या असर पड़ता है, उसे देख पा रहा हूं। यह प्रशिक्षण व्यवस्थित विज्ञान है। साल में दो बार जरूर होना चाहिए। ट्रेनर्स को मैंने डॉक्टर के रूप में अनुभव किया।
मयूर वाहने ने कहा कि इस प्रशिक्षण से कोई भौतिक उपलब्धि भले न हुई हो पर आचरण की उपलब्धि हो गई, एक प्रतिभागी ने कहा कि जीवन का लेखा-जोखा बनाते समय उन्हें पहली बार अफसोस हुआ है कि मैंने लोगों की मदद नहीं की है।
अमर लाल वर्मा ने कहा कि पहली बार अंदर की बुराइयों को देख पाया हूं। अब नए जीवन की शुरुआत होगी। श्री राधेश्याम भिलाला ने कहा कि यहां आकर आनंद का अनुभव हुआ है। पहली बार खुद को चार दिन दिए हैं। अगला प्रशिक्षण कार्यक्रम इसी ट्रेनिंग सेंटर पर 29 से 31 जनवरी तक आयोजित किया गया है।