एमपी के मतदान कर्मियों को सातवें वेतनमान के अनुसार मानदेय के बदले दिहाड़ी मजदूरी से भी कम मिला भुगतान

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ की जारी विज्ञप्ति में बताया गया है की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2022 का प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण तथा नगरीय निकाय का प्रथम चरण एवं द्वितीय चरण का चुनाव पूर्ण हो चुका है। फिर भी चुनाव कार्य में लगे कर्मचारियों को 7वें वेतनमान के अनुसार मानदेय नहीं दिया गया है। 2 दिन ट्रेनिंग और 3 दिन चुनाव करवाने सहित 5 दिन की मजदूरी 25 सौ रुपये होती है, लेकिन मानदेय के नाम पर आधी अधूरी राशि खातों में डाली जा रही है।

चुनाव में राज्य केन्द्रीय कर्मचारियों व अधिकरियों से पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी 1, 2, 3 एवं 4 तथा मतदान समाप्ति के तुरंत बाद मतगणना अधिकारी के रूप में लगातार 50 घण्टों तक कार्य कर सफलतापूर्वक चुनाव संपन्न कराया गया।

चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों व अधिकारियों को अपने पदस्थी स्थान से अन्य जनपद, विकास खण्डों आयोजित हो रहे हैं, प्रशिक्षण में भाग लिया तथा चुनाव तिथि के एक दिन पूर्व अपने कार्यस्थल से 60 से 70 किमी की दूरी तय कर अन्य विकासखण्डों में स्वयं के साधन से आये एवं गये, जिसमें उनके हजारों रुपये खर्च हुए।

कर्मचारी संघ ने कहा कि चुनाव कार्य में लगे कर्मचारी अपनी इस अथक मेहन्त के बदले वह एक सम्मानजनक मानदेय के हकदार हैं। किन्तु चुनाव कार्य में कर्मचारियों व अधिकारियों को जो मानदेय दिया जा रहा है, वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान तथा न्यूनतम मजदूरी दर से भी कम है। जिससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। 

संघ के योगेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय, संजय उपाध्याय, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, आशुतोष तिवारी, नरेन्द्र दुबे, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, श्यामनारायण तिवारी, सतीश पटैल, सुनील राय, राजकुमार सिंह, अभिषेक मिश्रा, मुकेश रजक, राजभान हलदकार, बृजेश गोस्वामी, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला, विनय नामदेव पवन ताम्रकार, प्रियांशु शुक्ला, नितिन शर्मा, महेश कोरी, संतोष तिवारी आदि ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मध्यप्रदेश भोपाल से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एवं नगरीय निकाय निर्वाचन कार्य ,सामग्री वितरण,जमा करने वाले एवं मतगणना में लगे कर्मचारियों व अधिकारियों को सातवें वेतनमान के अनुरूप सम्मानजनक मानदेय के भुगतान किये जाने की माँग की है।