जबलपुर दौरे पर आये मध्य प्रदेश के प्रमुख ऊर्जा सचिव द्वारा विद्युत कंपनियों की समीक्षा बैठक के दौरान कही गई बातों के बाद विद्युत कंपनियों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों में आक्रोश उपज रहा है और वे अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। एक समाचार पत्र में इस आशय की खबर प्रकाशित होने के बाद मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर ने ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर रोष जताया है।
यूनाइटेड फोरम ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को लिखे पत्र में कहा है कि 23 अगस्त को फोरम के प्रतिनिधि मण्डल के साथ विभिन्न बिन्दुओं पर वार्ता की गई थी एवं आपके (ऊर्जा मंत्री) द्वारा एक माह में सभी बिन्दुओं पर विचार कर निराकरण करने के आश्वासन के अनुसार प्रस्तावित तीन दिवसीय कार्य वहिष्कार को स्थिगित कर दिया गया था। आपके द्वारा यह भी आश्वस्त किया गया था कि इस संबंध में फोरम के प्रतिनिधियों के साथ प्रति सप्ताह वार्ता कर मुद्दों का निराकरण किया जायेगा, जिसके लिये फोरम द्वारा प्रतिनिधियों की सूची भी प्रेषित कर दी गयी थी।
लेकिन बड़े खेद के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि आश्वासन के 15 दिवस व्यतीत होने के बाद भी किसी भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा फोरम से किसी भी प्रकार की बैठक नहीं की है एवं न ही किसी भी मुद्दों का निराकरण हो पाया है। इसके विपरीत प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा स्तरहीन बयान देकर संगठनों को उक्साया जा रहा है।
जबलपुर के एक समाचार पत्र में 7 सितंबर को प्रकाशित खबर में लिखा है कि काली पट्टी बांध लो या आंदोलन कर लो निजीकरण रुकने वाला नहीं है। जो कि आपके (ऊर्जा मंत्री) द्वारा 23 अगस्त को वार्ता में दिये गये बयान कि मध्यप्रदेश में विद्युत कंपनियों के निजीकरण का अभी प्रस्ताव नहीं है, के सर्वथा विपरीत है एवं इस प्रकार के बयानों से विद्युत कंपनियों के संगठनों को आन्दोलनों के लिये जान बूझ कर उकसाया जा रहा है, जिसका फोरम पुरजोर विरोध करता है।
यूनाइटेड फोरम ने कहा है कि आपसे (ऊर्जा मंत्री) से पुन: अनुरोध है कि आगामी 15 दिवस में फोरम के प्रतिनिधि मण्डल के साथ वार्ता कर सभी मुद्दों के निराकरण हेतु संबंधितों को निर्देशित करें अन्यथा की स्थिति में फोरम को मजबूरी में स्थगित आन्दोलनात्मक गतिविधियां शुरू करने हेतु बाध्य होना पड़ेगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन एवं प्रशासन की होगी।