मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल अभियंता संघ के महासचिव इंजी. विकास कुमार शुक्ला ने मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक को पत्र लिखकर विरोध जताते हुए कहा है कि राज्य की अन्य बिजली कंपनिया जैसे उत्पादन कंपनी, मध्य क्षेत्र वितरण कंपनी और पश्चिम क्षेत्र वितरण कंपनी ने सूचना प्रोद्योगिकी के अभियंताओं को ‘सहायक अभियंता- उत्पादन’, ‘सहायक अभियंता- आईटी’ और ‘प्रबंधक- आईटी’ के पदनाम दिए गए हैं, किन्तु मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में ‘प्रोग्रामर’ का पदनाम दिया गया है।
मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड मे 68 प्रोग्रामर (नियमित) वर्तमान में कार्यरत हैं एवं इन प्रोग्रामरों को वर्ष 2012, 2013 और 2016 में क्रमश: तीन बैचों में, छठे वेतनमान आयोग के वेतन निर्धारण के अनुसार निर्धारित वेतनमान 15600-39000+5400 रुपए ग्रेड-पे के साथ भर्ती किया गया था, जो कि द्वितीय श्रेणी स्तर के मानदेय वेतनमान के बराबर था। इसी श्रंखला में, वर्ष 2018 में प्रोग्रामर पद के लिए भर्ती, छठे वेतनमान आयोग के वेतन निर्धारण के अनुसार निर्धारित वेतनमान रु9300-34800+4200 / – ग्रेड-पेके साथ की गई थी जो की तृतीय श्रेणी स्तर के बराबर की थी। हालांकि वर्ष 2018 की भर्ती और पहले के बैचों में अलग-अलग वेतनमान और ग्रेड वेतन पर की गई, परंतु दोनों पदों को ‘प्रोग्रामर’ के रूप में नामित किया गया है। इस प्रकार, 2012, 2013 और 2016 बैच के प्रोग्रामर और 2018 बैच के प्रोग्रामर के बीच कैडर स्तर पर यह अपने आप में एक बड़ी विसंगति है।
मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में कंपनी के द्वितीय श्रेणी संवर्ग में प्रोग्रामर के लिए कोई पदोन्नति पदानुक्रम नहीं है और कंपनी द्वारा प्रस्तावित संगठन संरचना में भीपदोन्नति पदानुक्रम केवल तृतीय श्रेणी संवर्ग स्तर पर आधारित है। जिसके परिणामस्वरूप पिछले बैच के प्रोग्रामर (जो कि वर्ष 2012, 2013 और 2016 में भर्ती हुए थे) पदनाम अनुसार श्रेणी-III कैडर स्तर पर डाउनग्रेड हो गए हैं। जिससे उन्हें वरिष्ठता की हानि,विलंब से पदोन्नति, श्रेणी-II कैडर स्तर के लाभों से वंचित जैसी विभिन्न जटिलताएं का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर जहाँ राज्य की अन्य बिजली कंपनियाँ जैसे उत्पादन कंपनी, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने सूचना प्रोद्योगिकी के अभियंताओं के समकक्ष पद के लिए पदोन्नति चैनलों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है, वहीं यह तथ्य चौंकाने वाला है कि सभी वितरण कंपनियों के प्रोग्रामर, एई (आईटी), प्रबंधक (आईटी) के लिए अलग-अलग मानव संसाधन नीतियां अपनाई जा रही हैं।
विकास शुक्ला ने कहा कि जैसा सर्व विदित है कि सभी वितरण कंपनियों को पूर्ववर्ती एमपीएसईबी के अनबंडलिंग के द्वारा बनाया गया था। ये सभी कंपनियाँ पूर्णरूप से सरकार के स्वामित्व में है, इसलिए मानव संसाधन से संबंधित मुद्दों पर भी समान नीति होनी चाहिए। अभियंता संघ हमेशा से सभी बिजली कंपनी में एक समान मानव संसाधन नीति अपनाने की मांग करता रहा है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए, ऊर्जा विभाग द्वारा सभी उत्तरवर्ती विद्युत कंपनियों के मानव संसाधन संबंधी मामलों में एकरूपता लाने के लिए, एक मानव संसाधन समिति का भी गठन किया गया है।
अभियता संघ ने मांग कि है की अन्य कंपनियों की तरह मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में भी ‘प्रोग्रामर’ के पद को ‘सहायक अभियंता-आईटी’ (श्रेणी-II कैडर में भर्ती प्रोग्रामर के लिए) के रूप में फिर से नामित किया जाये। यह न केवल आईटी पेशेवर के कैडर के लिए सभी बिजली कंपनियों में एकरूपता लाएगा, बल्कि उनके पदोन्नति पदानुक्रम को भी परिभाषित करेगा।