मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया की राज्य शासन द्वारा 31 दिसंबर 2004 से पुरानी पेंशन योजना समाप्त कर 1 जनवरी 2005 के बाद नियुक्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए नवीन पेशन योजना (एनपीएस) लागू की गई हैं। नवीन पेशन योजना के तहत कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह कटौती कर उस पैसे को शासन द्वारा बाजार में उपयोग किया जाता है, उसी पैसे को ब्याज सहित पेंशन के रूप में प्रतिमाह 1000-2000 के बीच ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मिल पाती है।
वहीं एक बार के निर्वाचित सांसदों एवं विधायकों एक दिन भी सांसद या विधायक रहने पर पूरे जीवन पेंशन एवं परिवार पेंशन मिलती रहती है। जबकि कर्मचारी 30 से 40 वर्षों की सेवा के उपरांत भी पेंशन से वंचित रहता है। जिससे उनके एवं उनके परिवार में असुरक्षा की भावना बनी रहती है। जब देश में एक संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है तो एक देश में दो प्रकार की पेंशन योजना क्यों लागू की गई है?
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, मुकेश सिंह, आलोक अग्निहोत्री, मंसूर बेग, सुनील राय, बृजेश मिश्रा, आशुतोष तिवारी, गोविन्द विल्थरे, रजनीश तिवारी, डॉ संदीप नेमा, मनीष चौबे, योगेन्द्र मिश्रा, अजय सिंह ठाकुर, महेश कोरी, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, मनोज सेन, श्यामनारायण तिवारी, विनय नामदेव, प्रियांशु शुक्ला, पवन ताम्रकार, दीपक सोनी, संतोष तिवारी, गणेश उपाध्याय, धीरेन्द्र सोनी, मो. तारिक, अभिषेक मिश्रा, बृजेश गोस्वामी, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला, प्रणव साहू, राकेश पाण्डे, विजय कोष्टी, अब्दुल्ला चिश्ती, आदित्य दीक्षित, विष्णु पाण्डे, मनोज पाटकर आदि ने केन्द्र एवं राज्य शासन से मांग की है कि एनपीएस योजना समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना 31 दिसंबर 2004 की स्थिति पुनः लागू की जावे।