Friday, December 27, 2024
Homeएमपीसड़क की गुणवत्ता के लिए अधिकारियों की जवाबदेही और DAMS लागू करने...

सड़क की गुणवत्ता के लिए अधिकारियों की जवाबदेही और DAMS लागू करने की सिफारिश

लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के निर्देशानुसार, अन्य राज्यों में निर्माण क्षेत्र में अपनाई जा रही बेस्ट प्रैक्टिसेस का अध्ययन करने के लिए विभाग द्वारा तेलंगाना और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) गए दलों ने लौटकर मंत्री राकेश सिंह के समक्ष नवाचारों और अनुभवों पर आधारित एक प्रस्तुतीकरण दिया। मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि वहां से प्राप्त अच्छी प्रथाओं और नवाचारों को मध्य प्रदेश में भी लागू किया जाना चाहिए, जिससे प्रदेश के निर्माण कार्यों में और सुधार हो सके। इस दौरान एसीएस केसी गुप्ता, ईएनसी आरके मेहरा सहित दलों के सदस्य उपस्थित रहे।

तेलंगाना गए दल ने बैठक में अपने अनुभव साझा करते हुए सुझाव दिया कि क्वालिटी कंट्रोल को फील्ड स्तर तक विस्तार दिया जाए और इसके लिए जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय की जाए। उन्होंने 2 करोड़ रुपये से अधिक के डामर कार्यों में बैच मिक्स प्लांट को अनिवार्य करने के साथ डामर की खरीद केवल अर्धशासकीय संस्थानों जैसे आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल से की जानी चाहिए, और इस शर्त को निविदा प्रपत्र में जोड़ने की सिफारिश की। 1 करोड़ रुपये से अधिक के कार्यों में तकनीकी परीक्षण (PQ) को लागू करना अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता की जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियों को दी जानी चाहिए, प्लानिंग और डिजाइन का कार्य निजी कंसल्टेंसी द्वारा कराया जाए एवं इसमें भी विभागीय इंजीनियर्स की सहभागिता पूर्ण जबाबदेही के साथ सुनिश्चित की जाए। सड़कों की मोटाई जांचने के लिए सभी सर्किल लैब्स के लिए डिजिटल डेंसिटी मशीन का क्रय भी किया जाए और हर डिवीजन में एक प्रयोगशाला स्थापित की जाए।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अध्ययन दल ने ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (DAMS) का उपयोग करने की सिफारिश की। यह आधुनिक प्रणाली ड्रोन के माध्यम से मार्ग की पूरी लंबाई का सर्वेक्षण करती है, जिससे कार्य की प्रगति की तुलनात्मक समीक्षा की जा सकती है। DAMS के उपयोग से निर्माण कार्य की गति और गुणवत्ता की निगरानी अधिक सटीक और प्रभावी ढंग से हो सकेगी। इस तकनीक से वास्तविक समय में परियोजनाओं की स्थिति का जबाबदेही के साथ विश्लेषण किया जा सकता है, जिससे किसी भी समस्या या देरी को समय रहते पहचाना और ठीक किया जा सके। बिटूमिन कार्य में वेस्ट प्लास्टिक का उपयोग किया जाए जिससे निर्माण कार्य की लागत में 8 से 10 प्रतिशत की कमी होती है और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी। कीक ऑफ मीटिंग प्रावधान भी किया जाए, जिसमें अनुबंध करने से पूर्व ठेकेदार और मैदानी अधिकारियों की बैठक आयोजित की जाती है, ताकि कार्य स्थल की समस्याओं को पहले ही दिन चिन्हित कर लिया जाए और उनका समय पर समाधान सुनिश्चित हो सके।

मंत्री राकेश सिंह ने बैठक में एरियल डिस्टेंस के आधार पर सड़कों का निर्माण करने के निर्देश दिए और इसके लिए विभाग से शीघ्र कार्यवाही प्रारंभ करने को कहा। साथ ही उन्होंने क्वालिटी कंट्रोल को फील्ड लेवल तक विस्तार देने और इसकी जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि यह प्रक्रिया जल्द से जल्द विभाग में लागू की जाए, ताकि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में सुधार हो सके। इसके अतिरिक्त, उन्होंने सुझाव दिया कि विभागीय अधिकारियों को उन राज्यों में भेजा जाए जहां निर्माण कार्यों में उत्कृष्ट प्रथाओं का पालन किया जा रहा है, ताकि वहां की अच्छी प्रथाओं को मध्यप्रदेश में भी अपनाया जा सके। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को नवीन तकनीकों से अवगत कराने के लिए रिफ्रेशर कोर्स और नियमित अंतराल पर प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाना चाहिए।

संबंधित समाचार

ताजा खबर