मध्य प्रदेश के जबलपुर में बिलहरी निवासी सागर पासी की रेलवे में नौकरी की राह तब आसान होती दिखाई दी, जब कलेक्टर के निर्देश के दो घंटे के भीतर ग्राम जमतरा में मां के नाम की 0.16 हेक्टेयर भूमि को ऋण पुस्तिका में अधिग्रहित भूमि दर्ज कर दिया गया।
सागर पासी गुरुवार को दोपहर कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी. से आकर मिला और मां मालती बाई पासी के नाम की भूमि ऋण पुस्तिका में अधिग्रहित भूमि दर्ज नहीं हो पाने पर नौकरी पर मंडरा रहे खतरे की जानकारी दी। सागर ने कलेक्टर को बताया कि अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के आदेश के बावजूद ऋण पुस्तिका में मां के नाम की भूमि को अभी तक अधिग्रहित भूमि दर्ज नहीं किया गया है। इसके लिये वह पिछले तीन-चार माह के दौरान तहसीलदार और पटवारी के कई चक्कर लगा चुका है। लेकिन अब और ज्यादा देर हुई तो उसकी दक्षिण-पूर्व रेलवे द्वारा ग्रुप डी के पद पर दी जा रही नौकरी चली जायेगी।
कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ने सागर पासी द्वारा सुनाई गई व्यथा को न केवल गंभीरता से लिया, बल्कि उसके भविष्य को देखते हुए तत्काल नायाब तहसीलदार रांझी और क्षेत्र के पटवारी को बुलाकर श्रीमती मालती पासी की ऋण पुस्तिका में अधिग्रहित भूमि दर्ज करने के निर्देश दिये। कलेक्टर के निर्देश का पालन करते हुए नायब तहसीलदार एवं पटवारी ने दो घंटे के भीतर ही ऋण पुस्तिका में अधिग्रहित भूमि दर्ज कर सागर पासी को सौंप दी।
सागर पासी को दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे द्वारा उसकी मां के नाम ग्राम जमतरा में दर्ज 0.16 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई थी और इसके बदले उसे ग्रुप डी की नौकरी ऑफर की गई थी। रेलवे द्वारा सागर पासी से इसके लिए भूमि अधिग्रहण की एंट्री सहित भू-अर्जन अधिकारी द्वारा सत्यापित ऋण पुस्तिका की मूल प्रति प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये थे। ऐसा नहीं हो पाने पर उसे नौकरी के उसके प्रकरण पर कोई विचार नहीं करने की चेतावनी भी दी गई थी।