देश में कोरोना की दूसरी लहर लगातार संक्रामक होती जा रही है। जिसे देखते हुए अधिकांश राज्य सरकारों ने लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लागू की हैं और लोगों से घर पर रहने की ग़ुज़ारिश की जा रही है। मध्य प्रदेश में भी कोरोना संक्रमण के मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं।
खासतौर पर अतिआवश्यक सेवाओं से जुड़े विद्युत विभाग के अधिकारी-कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चपेट में आते जा रहे हैं। वहीं इनमें से अनेक अधिकारी-कर्मचारी असमय काल कवलित हो चुके हैं। इसके बावजूद कंपनी प्रबंधन ने बाबूराज से डरकर कार्यालय स्टाफ को एक दिन छोड़ एक दिन कार्यालय आने की छूट दी गई है और लाइन कर्मियों से सातों दिन 24 घंटे ड्यूटी कराई जा रही है।
विद्युत विभाग में कोरोना संक्रमण की चपेट में आने वाले कार्मिकों में अधिकतर मैदानी अधिकारी और लाइन कर्मी हैं, जो विद्युत सुधार के लिए कंटेन्मेंट एरिया में भी जाते हैं और उपभोक्ताओं के घरों में भी, इसके बावजूद विद्युत कंपनी प्रबंधन लाइन कर्मियों को मनुष्य न मानते हुए उन्हें कोरोना संक्रमण की भट्टी में झौंके हुए है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि विद्युत कंपनियों में अधिकारी एवं बाबू 1 दिन छोड़ 1 दिन ड्यूटी पर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश शासन का आदेश भी है कि 50 प्रतिशत से कम स्टाफ को कार्यालय बुलाया जाये।
उन्होंने कहा कि लेकिन नियमित, संविदा और आउटसोर्स लाइन कर्मी 100 प्रतिशत बुलाए जा रहे हैं। अगर मैदानी कर्मी एक दिन न आने की बात कहे तो उनका वेतन काटने की धमकी दी जाती है और अनुपस्थिति दर्ज कर दी जाती है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से अपनी-अपनी जान बचाने के लिए अधिकारी एवं बाबू घर पर आराम कर रहे हैं और कोरोना संक्रमण के मुंह में विद्युत कर्मियों को धकेल दिया गया है। मानो कोरोना वायरस भी लाइन कर्मचारियों से डरता हो।
वहीं आउटसोर्स कर्मियों को भगाने की भी धमकी दी जाती है। एरिया स्टोर आदि सभी जगह भी लगातार सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक कार्य लिया जाता है। जब मध्य प्रदेश शासन के द्वारा 50 प्रतिशत अधिकारी एवं कर्मचारियों को बुलाने के आदेश किए गए हैं तो विद्युत कंपनी में शत-प्रतिशत लाइन कर्मचारियों को क्यों बुलाया जा रहा है। लाइन कर्मचारियों को भी 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ 1 दिन छोड़ 1 दिन बुलाया जाये। अधिकारियों के द्वारा लगातार लाइन कर्मियों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है एवं मानव अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।
संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, रमेश रजक, केएन लोखंडे, एसके मौर्य, जेके कोस्टा, अजय कश्यप, शशि उपाध्याय, अरुण मालवीय,इंद्रपाल, सुरेंद्र मेश्राम, महेश पटेल, वीरेंद्र विश्वकर्मा, पीएन मिश्रा आदि के द्वारा विद्युत कंपनी प्रबंधन से मांग की गई है कि लाइन कर्मचारियों को भी मनुष्य समझते हुए उनके साथ न्याय किया जाये।