मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में पूर्व में लागू सौर ऊर्जा आधारित विदयुत उत्पादन नीति- 2011, पवन ऊर्जा आधारित विदयुत उत्पादन नीति- 2012, बायोमास आधारित विदयुत उत्पादन नीति- 2012 तथा लघु जल ऊर्जा आधारित विद्युत उत्पादन नीति- 2011 को समाप्त कर उनके स्थान पर नवकरणीय ऊर्जा नीति- 2022 को मान्य किये जाने का निर्णय लिया। इसके आधार पर आगामी नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विकास प्रदेश में किया जाएगा।
मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए आदर्श स्थल है। प्रदेश में प्रचुर मात्रा में भूमि, सोलर आइसोलेशन, मोडरेट विन्ड स्पीड, बायोमास जल स्त्रोत आदि नैसर्गिक रूप से उपलब्ध हैं। राज्य में उपलब्ध इन संसाधनों से राज्य की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता की आपूर्ति के इतर अन्य राज्यों को भी नवकरणीय ऊर्जा की मांग पूरी की जा सकती है, जो राज्य के लिये आय का स्त्रोत हो सकती है।
इसके अतिरिक्त इस वृहद लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्य में नवकरणीय ऊर्जा आधारित कलपुर्जीं की निर्माण इकाइयों के विकास की भी पर्याप्त सम्भावना है। पूर्व में जारी विभिन्न नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोत आधारित नीतियों के स्थान पर एकीकृत मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा नीति की आवश्यकता है।
इस नीति में सौर, पवन, लघु जल, बायोमास, हायब्रिड तथा स्टोरेज ऊर्जा आधारित परियोजनाओं के विकास हेतु व्यापक रूपरेखा तैयार की गई है। साथ ही प्रदेश में ही नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आवश्यक उपकरण कलपुर्जो के विकास के लिए भी प्रावधान एवं प्रोत्साहन आदि प्रस्तावित किए गए हैं। साथ ही नीति में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को भी महत्व दिया गया है, जिसे भविष्य की ऊर्जा माना जा रहा है।