मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया की मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत जबलपुर द्वारा विकास खण्ड स्त्रोत समन्वयक (बीआरसी) नगर-1 शहपुरा एवं कुण्डम की प्रतिनियुक्ति जिला शिक्षा केन्द्र जबलपुर से समाप्त करते हुए इनकी सेवायें डीईओ कार्यालय को माह अक्टूबर 2022 में सौपी गई हैं।
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प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा तीन शिक्षकों में से दो शिक्षकों को उनके पूर्व पदांकित विकास खण्डों में अस्थाई तौर पर शैक्षणिक कार्य लिया जा रहा है, जबकि तीसरे प्रधानाध्यापक राजेन्द्र उपाध्याय से डीईओ कार्यालय में बाबूगिरी कराई जा रही है, जबकि राजेन्द्र उपाध्याय की पूर्व पदांकित संस्था माध्य. शाला करमेता में आज भी प्रधानाध्यापक का पद रिक्त है। राजेन्द्र उपाध्याय का पदांकन शाला में न होने से वह वेतन से भी वंचित हैं। वहीं डीईओ की मनमानी के चलते कई शालाएं भी शिक्षक विहीन हैं।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवेधश तिवारी, अटल उपाध्याय, यादव, मंसूर बेग, गोविन्द विल्थरे, रजनीश तिवारी, पवन श्रीवास्तव, चन्दु जाउलकर, शंकर वानखेडे, बिट्टू आह्लोवालिया, उमेश पारखी, विपिन शर्मा, वीरेन्द्र तिवारी, धनश्याम पटैल, रमेश उपाध्याय, साहिल सिद्दीकी, गोपाल नेमा, प्रशांत श्रीवास्तव, कमलेश यादव, पंकज शर्मा, राकेश तिवारी आदि ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत जबलपुर से मांग की है कि प्रधानाध्यापक को बाबूगिरी से मुक्त कराकर उनको उनकी मूल शाला भेजा जावे तथा समय पर पदांकन की कार्यवाही न करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे।