मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि शासन शिक्षकों का शोषण बंद करे। जब शिक्षकों को ग्रीष्मकालीन अवकाश दीपावली, दशहरा, शीतकालीन अवकाश कई वर्षों से रद्द कर दिये हैं। ग्रीष्मकालीन अवकाश में विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण एवं छात्रों को दी जा रही सुविधाएं उपलब्ध कराने में एवं विभिन्न प्रकार के राज्य शिक्षा केन्द्र के कार्यो में लगाया जाता है, इस कारण घोषित ग्रीष्मकालीन अवकाश का उपभोग शिक्षक कर ही नहीं पाते हैं।
विगत दो वर्षों से कोरोना काल के चलते ग्रीष्मकालीन अवकाश में घर घर सर्वे अनाज वितरण जैसे सभी कार्य इनके द्वारा किये जा रहे हैं। प्राचीन काल में शिक्षकों द्वारा किये जा रहे मानसिक परिश्रम के एवज में एवं कृषि कार्य के कारण दीपावली, दशहरा में अवकाश की व्यवस्था की गई थी, जो पूरी तरह से लगभग समाप्त कर दी गई हैं। अतः इन अवकाशों के स्थान पर अर्जित अवकाश प्रदान किया जाना न्यायसंगत होगा।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवेधश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, आशुतोष तिवारी, आलोक अग्निहोत्री, ब्रजेश मिश्रा, सुनील जैन, दुर्गेश पाण्डेय, डॉ संदीप नेमा, बीएस ठाकुर, राजेन्द्र गढवाल, सुरेन्द्र जैन, मुन्नालाल नामदेव, संतकुमार चीपा, देवेन्द्र प्रताप सिंह, श्याम बाबू मिश्रा, प्रमोद पासी, राजेन्द्र कुररिया, अमर सिंह लोधी, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, विनय नामदेव, मनोज सिंह, पवन ताम्रकार, महेश कोरी, संतोष तिवारी, प्रियांशु शुक्ला आदि ने मुख्यमंत्री को ईमेल कर मांग की है कि प्रदेश के अन्य लोकसेवकों की भांति शिक्षकों को भी 5 दिवसीय सप्ताहिक कार्य व्यवस्था का लाभ दिया जाना चाहिए।